- इंडियन सोसायटी में वर्किंग वुमन की सिचुएशन पर मंथन

<- इंडियन सोसायटी में वर्किंग वुमन की सिचुएशन पर मंथन

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ALLAHABAD: allahabad@inext.co.in

ALLAHABAD: हमीदिया ग‌र्ल्स डिग्री कॉलेज में समाजशास्त्र विभाग की ओर से दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का शुभारंभ सैटरडे से हुआ. जिसका विषय समकालीन भारतीय समाज में कामकाजी महिलाएं: भूमिका, आशाएं और पहचान था. इस अवसर पर मौजूद चीफ गेस्ट उत्तर प्रदेश राजर्षि टंडन ओपन यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर प्रो. एमपी दुबे ने कहा कि वुमेंस के वर्क को एक्सचेंज वैल्यू नहीं दी जाती. वर्क की यूज वैल्यू है एक्सचेंज वैल्यू नहीं है. उन्होंने कहा कि जब सिम्पल वर्क स्किल वर्क हो जाता है तब वह काम पुरुष करने लगता है.

वर्किंग और नॉन वर्किंग वुमेन का अंतर

कार्यक्रम में अपनी बात रखते हुए इलाहाबाद यूनिवर्सिटी में समाजशास्त्र विभाग के अध्यक्ष प्रो. ए. सत्यनारायण ने कहा कि जो काम कर रहे हैं अगर उसमें पैसा मिल रहा है तो वह वर्किंग है. लेकिन जिस काम में पैसा नहीं मिल रहा वह नॉन वर्किंग हैं. ऐसे ही महिलाओं की गिनती भी नॉन वर्किंग वुमेन के रूप में की जाती है. जबकि, हकीकत यह है कि जो महिला खेतों में काम कर रही है वह भी राष्ट्रीय सम्पत्ति में योगदान दे रही है. उन्होंने किसी भी व्यक्ति के पहचान के प्रकार को गिनाते हुए बताया कि व्यक्ति की राजनीतिक, आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक आदि पहचान होती है.

उनके जीवन का सच समझने की जरूरत

इस अवसर पर यूपीटेक के डायरेक्टर प्रो. केके भूटानी ने कहा कि महिलाओं के जीवन की सच्चाई को समझने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि महिलाओं संग वर्किंग प्लेस पर होने वाली दु‌र्व्यवहार की घटनाएं चिंता का विषय हैं. हमीदिया ग‌र्ल्स डिग्री कॉलेज की प्रबंधिका तजीन एहसानउल्ला ने कहा कि औरत बहुत हौसलामंद होती है. प्रिंसिपल डॉ. रेहाना तारिक ने स्वागत भाषण दिया. कार्यक्रम का संचालन डॉ. सबीहा आजमी ने किया. इस दौरान वर्ष ख्0क्ब् में सर्वश्रेष्ठ पुरस्कार पाने वाली छात्राओं को पुरस्कार देकर सम्मानित किया गया.