रिस्पांसिबिल्टी से डिटैच्ड हो रहे हैं हम

बात को आगे बढ़ाते हुए प्रो। गुप्ता ने कहा कि हम अपनी रिस्पांसिबिल्टी से डिटैच्ड होते जा रहे हैं। देश की जनता को इनसेंसेटिव बनाया जा रहा है, वहीं माहौल को भी सेंस्टिविटी का लालच देकर इनसेंसेटिव बना दिया गया है। यहां तक कि हम अपनी फैमिली, बच्चों, वाइफ और बुजुर्गों तक के प्रति इनसेंसेटिव हो चुके हैं। उन्होंने कहा कि विकास की नई नीतियों ने हमें जिम्मेदार विहीन कर दिया है। इस दौरान पैनलिस्ट के तौर पर डीन आट्र्स प्रो। सुरेंद्र दुबे ने बताया कि सिद्धांत और व्यवहार में कोऑर्डिनेशन के बिना समाज में न्याय पाना पॉसिबल नहीं है। लोगों के माइंडसेट को बदलकर हम सोशल जस्टिस की चुनौतियों का सामना कर सकते हैं। इस दौरान प्रो। केके मिश्रा और प्रो। शिवबहाल सिंह ने भी अपनी बातें रखीं।

प्रो। कीर्ति पांडेय ने किया गेस्ट का वेलकम

प्रोग्राम की क्लोजिंग सेरेमनी के दौरान ऑर्गेनाइजर और डिपार्टमेंट की एचओडी प्रो। कीर्ति पांडेय ने सभी गेस्ट का वेलकम किया। इस दौरान उन्होंने गेस्ट को मोमेंटो और शॉल देकर सम्मानित किया। प्रोग्राम का संचालन मनीष पांडेय ने किया। गोरखपुर यूनिवर्सिटी और यूजीसी नई दिल्ली के ज्वाइंट कोऑर्डिनेशन में ऑर्गेनाइज यह सेमिनार एंपॉवरमेंट और सोशल जस्टिस टॉपिक पर ऑर्गेनाइज किया गया। प्रोग्राम के लास्ट में प्रो। कीर्ति पांडेय ने धन्यवाद ज्ञापित किया। इस दौरान प्रो। वीके श्रीवास्तव, प्रो। राम प्रकाश, डॉ। संगीता पांडेय, डॉ। मानवेंद्र प्रताप सिंह, डॉ। शफीक अहमद, डॉ। शुभि धूसिया, डॉ। अनुराग द्विवेदी, डॉ। प्रमोद शुक्ला समेत यूनिवर्सिटी के टीचर्स और स्टूडेंट्स मौजूद रहे।

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