::नेशनल स्पो‌र्ट्स डे स्पेशल:::

- दून के सूरज पंवार ने अर्जेटीना में यूथ ओलंपिक गेम्स 2018 व बैंकॉक में जीता सिल्वर मैडल

- अब सूरज का निशाना ओलंपिक 2024, लेकिन परिवार की आर्थिक तंगी बन रही रोड़ा

>DEHRADUN: महज छह माह की उम्र में ही एथलीट सूरज पंवार के सिर से पिता का साया उठ गया। तीन भाईयों में सबसे छोटे सूरज को मां की छांव में ही बड़ा होना पड़ा। घर के पास में ही सरकारी स्कूल में किसी ने फीस माफ करवा दी और वहीं से आठवीं की परीक्षा पास की। लेकिन कहते हैं कि पूत का पांव पालने में ही दिख जाते हैं। सूरज ने भी कुछ ऐसा ही कर दिखाया। सूरज ने छोटी सी उम्र में खिलाड़ी बनने की राह चुनी और पिछले तीन वर्षो से वह नेशनल यूथ चैंपियनशिप में देश व प्रदेश का नाम रोशन कर रहे हैं। लेकिन परिवार की माली हालत को देखते हुए सूरज की निगाह नौकरी पर टिकी है। जिससे अपने दो भाईयों व मां का सहारा बन पाएं। फिलहाल सूरज पंवार युवा खिलाडि़यों के रोल मॉडल बने हुए हैं और वर्ष 2024 के ओलंपिक में अपने देश की झोली में मैडल डालने का सपना संजोए हुए हैं।

खनन माफियाओं ने पापा पर बोला था हमला

शिमला बाईपास के कारबाड़ी इलाके के रहने वाले सूरज पंवार प्राइवेट हाईस्कूल की परीक्षा दे रहे हैं। हालांकि दो बार वे कारणवश एग्जाम में प्रतिभाग नहीं कर पाए। सूरज पंवार ने जिस छोटी सी उम्र में यूथ ओलंपिक गेम्स में देश ही नहीं विदेशों में जो सफलता हासिल की, बड़े-बड़े एथलीट्स को इसे हासिल करने में पसीने छूट जाते हैं। सूरज को अपने जीवन में कई मुसीबतों से दो-चार होना पड़ा। जब सूरज छह महीने के थे, तब उनके पापा उदय सिंह पंवार पर खनन माफियाओं ने हमला बोला और उनकी जान चली गई। सूरज के पापा फॉरेस्ट डिपार्टमेंट में कार्यरत थे। परिवार की जिम्मेदारी सूरज की मां के ऊपर आई तो तीन बच्चों को संभालना किसी चुनौती से कम नहीं था। मां ने अपने पति के स्थान पर नौकरी संभाली। सूरज ने छोटी सी उम्र में ही एथलीट बनने का सपना बुन लिया था और फिर पीछे मुड़कर नहीं देखा। एक नहीं कई नेशनल व इंटरनेशनल यूथ ओलंपिक गेम्स में पार्टिसिपेट करने के बाद सूरज के नाम कई मैडल हैं। इस सफलता के बाद सरकार के सेंटर ऑफ एक्सीलेंसी योजना के तहत महाराणा स्पो‌र्ट्स कॉलेज में रहने के लिए रूम व निशुल्क कोचिंग की सुविधा मिली है। फिलहाल सूरज पंवार वर्ष 2024 में ओलंपिक में मैडल झटकने की तैयारी कर रहे हैं, जो सूरज का एक मात्र सपना है। स्पो‌र्ट्स कॉलेज सहित तमाम खिलाडि़याें के लिए सूरज पंवार रोल मॉडल बने हुए हैं।

परिवार व खुद की आजीविका को नौकरी की दरकार

सूरज के दो और भाई हैं। जिसमें एक ने ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी कर ली है और दूसरा भाई होटल मैनेजमेंट कर रहा है। लेकिन सूरज के सामने आर्थिक तंगी का सबसे बड़ा संकट है। सूरज का कहना है कि उन्हें 10-12 हजार रुपए महीने का खर्च केवल तैयारियों के लिए चाहिए, जो परिवार की ओर से संभव नहीं हो पा रहा है। हालांकि सूरज के पास आर्मी में भर्ती होने का ऑफर आ चुका है। लेकिन वह उत्तराखंड में ही रहकर देश व प्रदेश का नाम रोशन करना चाहते हैं। सूरज कहते हैं कि खेल व परिवार की आजीविका के लिए उन्हें नौकरी की जरूरत महसूस होती है, जो नहीं मिल पा रही है। सूरज अपना रोल मॉडल वर्ष 2016 के ओलंपियन मनीष रावत को मानते हैं, जो पुलिस विभाग में हैं और ओलंपिक में 13वें स्थान पर रहे।

सूरज के नाम कई उपलब्धियां

- यूथ ओलंपिक गेम 2018, पांच किमी, सिल्वर मैडल, समय 20.23 सेकेंड, अक्टूबर 2018

- यूथ ओलंपिक एसोसिएशन एथलीट, क्वालिफिकेशन, जुलाई 2018, सिल्वर मैडल, समय 47.40 सेकेंड।

- मार्च 2017 में यूथ एशियन एथलीट में पार्टिसिपेट किया।

- 32वें जूनियर नेशनल एथलीट चैंपियनशिप 2016 तमिलनाडू में पार्टिसिपेट, समय 22.37 सेकेंड, 5 किमी वॉक

- नेशनल यूथ एथलीट चैंपियनशिप 2017 हैदराबाद में, सिल्वर मैडल, 10 किमी वॉक, समय 45.35 सेकेंड।

- नेशनल जूनियर एथलीट चैंपियनशिप वियजवाड़ा नवंबर 2017, 10 किमी वॉक, समय 43.51.1 सेकेंड।

- फरवरी में चेन्नई में आयोजित छठे नेशनल रेस वॉकिंग चैंपियनशिप 2019 में पार्टिसिपेट, 10 किमी वॉक में गोल्ड।