प्रयाग तक होगा हल्दिया-वाराणसी जलमार्ग का विस्तार
अर्द्धकुंभ से पहले पूरा होगा काम, कोलकाता से आ सकेंगे श्रद्धालु
ALLAHABAD: वाराणसी-हल्दिया जलमार्ग का विस्तार अब इलाहाबाद तक होगा। यह काम अर्द्धकुंभ 2019 से पहले होना है। ताकि, मेले में कोलकाता से श्रद्धालु पानी के जहाज से आ सकें। यह घोषणा उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने की। वह शनिवार को सर्किट हाउस में पत्रकारों से बातचीत कर रहे थे। उन्होंने कहा कि मेरे अनुरोध पर केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने जलमार्ग को प्रयाग की धरती तक बढ़ाने का प्रस्ताव स्वीकार कर लिया है।
घोषणा के बावजूद था ठंडे बस्ते में
2014 में भाजपा की केंद्र में सरकार बनने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नेशनल वाटरवे हल्दिया-इलाहाबाद जलमार्ग की घोषणा की थी। बाद में इसे सोची-समझी रणनीति के तहत वाराणसी तक सीमित कर दिया गया। इस बात को दबाए रखा गया। इस मामले में दैनिक जागरण आई नेक्स्ट ने इन्वेस्टिगेशन किया तो हकीकत सामने आ गई। पता चला कि आईडब्ल्यूएआई का फोकस और टारगेट केवल वाराणसी तक ही था। इस प्लान में इलाहाबाद की कोई जगह नही थी। वर्ष 2016 में केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए इस बात को स्पष्ट भी कर दिया कि यह जलमार्ग केवल वाराणसी तक ही सीमित है और फिलहाल इलाहाबाद इससे बाहर हो चुका है।
क्या था नेशनल वाटरवे प्लान में
वर्क प्लान के मुताबिक ड्रेजिंग, वाटर लेवलिंग सहित सभी काम वाराणसी तक कराए जाने का जिक्र था।
करछना में जहाज रोकने, लोडिंग-अनलोडिंग के लिए बनाए गए टर्मिनल के डेवलपमेंट का कोई प्लान भी शामिल नही था।
टर्मिनल डेवलपमेंट के लिए 14 लाख रुपए का बजट 2013-14 में जारी किया गया था लेकिन पीएम के ड्रीम प्रोजेक्ट में शामिल होने के बाद इसे ठंडे बस्ते में डाल दिया गया।
अगले साल जारी किए गए बजट में 14 में से नौ लाख रुपए घटाकर केवल पांच लाख ही जारी किए गए
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कांग्रेस ने बनाई थी योजना
इलाहाबाद को हल्दिया से जलमार्ग द्वारा जोड़ने का प्लान पूर्व पीएम राजीव गांधी का था।
उनके प्रयास से इस जलमार्ग का सर्वे भी किया गया था।
वर्ष 1986 में राजीव गांधी के रिज्यूम में नेशनल वाटरवे वन अस्तित्व में आया था
इसके बाद इलाहाबाद से हल्दिया से इलाहाबाद तक जल परिवहन शुरू भी हो गया था
राजीव गांव की हत्या के बाद यह योजना दम तोड़ने लगी
2010 के बाद चुनिन्दा मौकों पर ही जल परिवहन का इस्तेमाल किया गया
यह ट्रांसपोर्ट सिर्फ सामान ढोने के लिए इस्तेमाल किया गया था
इसे बंद किए जाने के पीछे गंगा में कुछ स्थानों पर वाटर लेवल की कमी बताई गई थी
क्या कहा था मोदी ने
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने नमामि गंगे प्रोजेक्ट तहत इलाहाबाद हल्दिया मार्ग शुरू करने की मंशा जताई
प्रधानमंत्री की योजना में जल परिवहन का इस्तेमाल राजमहल क्रूज को चलाने के लिए भी किया जाएगा
इलाहाबाद में बनना था प्लेटफॉर्म
इलाहाबाद में आलरेडी जमीन आवंटित है इस काम के लिए
इससे टूरिज्म को प्रमोशन मिलता और रोड ट्रैफिक का प्रेशर भी डायवर्ट होता
क्यों जरूरी है जलमार्ग
हर साल इलाहाबाद आते हैं हजारों विदेशी सैलानी
कुंभ व अर्द्धकुंभ में सैलानियों की संख्या लाखों में होती है
2019 के अर्द्धकुंभ में प्रदेश सरकार का लक्ष्य अधिक से अधिक विदेशी सैलानियों को प्रयाग तक लाने का है।
ऐसा हुआ तो मेला प्राधिकरण को लाखों-करोड़ों रुपए का लाभ होगा।
बिना बैराज नही चल सकेगा जहाज
बता दें कि हल्दिया और इलाहाबाद के बीच जलमार्ग विकसित करना इतना आसान नही होगा। जानकारी के मुताबिक वाराणसी और इलाहाबाद के बीच बैराज बनने के बाद पानी का जहाज चलाया जा सकेगा। बैराज गंगा के बीच में एक तरह का बांध है। जहां पानी कम होता है वहां आईडब्ल्यूयूएआई के निर्धारित मानक तीन मीटर को मेंटेन किया जाता है। इसके लिए गंगा के नीचे खोदाई तक होती है। 2006 से 2012 तक नेशनल वाटरवे वन का सर्वे करने के बाद डीएचआई प्रा.लि कंपनी ने गाजीपुर, मिर्जापुर के बबुरा ओर चुनार के महाराची गांव के पास बैराज बनाने का प्रोजेक्ट तैयार किया था। आईडब्ल्यूएआई के प्रोजेक्ट के मुताबिक बैराज बनाने में बीस करोड़ रुपए का खर्च आएगा।