इसी धरती पे थे आबाद समन-जार मेरे,

इसी बस्ती में मेरी रूह का सरमाया था।

मेरठ: अकबर हैदराबादी की यह लाइनें, खुश्क पड़े नौचंदी मैदान पर सटीक बैठती हैं। कभी एशिया के बेहतरीन मेलों में शुमार ऐतिहासिक नौचंदी मेला सियासी रंगत में हर आने वाले सालों में दम तोड़ता नजर आ रहा है। यूं तो कई बार मेरठ के लोगों ने मेले की साख हो बचाने की कोशिश की किंतु नतीजा सिफर नजर आ रहा है। देश-विदेश में जिन्हें कद्र मिली अपने ही शहर में वे शख्सियत इस मेले में नजरअंदाज की जाती रहीं। आलम यह है कि ऐतिहासिक मुशायरा और कवि सम्मेलन दम तोड़ गया।

सियासी दीमक का दर्द

ऐतिहासिक नौचंदी मेले का आयोजन पिछली सालों से नगर निगम या जिला पंचायत कराता का रहा है। सियासी शिगूफों के गलियारे हैं ये दोनों विभाग। सो सत्ता में होता है, वो आका होता है और अपनी मनमर्जी करता है। आलम यह है कि इस मेले की साख को हर आने वाले साल सियासी दीमक चट कर रही है। इस बार नौचंदी मेले का आयोजन जिला पंचायत विभाग करा रहा है। आलम यह है कि जिला पंचायत अध्यक्ष सीमा प्रधान कुर्सी बचाने के फेर में नौचंदी पर नजरें इनायत करना भूल रही हैं। बीती 26 मार्च को मेले का फीता काटकर औपचारिक उद्घाटन तो कर दिया किंतु तैयारियां सिफर पड़ी हैं। जो मैदान अब तक झूलों-सर्कस से गुलजार होता था उसमें सन्नाटा पसरा है।

नहीं उठ सके ठेके

ठेकेदारों को शायद मेले की वीरानी का अंदाजा लगा रहा है तभी तो झूला, सर्कस, पार्किंग, लाइटिंग के ठेके आधे से भी कम रकम पर छूटे। दुकानों का आवंटन भी नहीं हो सका है। जाहिर है कि इन ठेकों को खारिज ही होना था। जिला पंचायत अध्यक्ष ने ठेकों को खारिज कर दोबारा टेंडर प्रक्रिया के आदेश दिए हैं। हालांकि तिथि अभी तक नियत नहीं है।

तय नहीं प्रोग्राम

गत दिनों मेले की सांस्कृतिक कमेटी के सदस्य एवं प्रसिद्ध कवि डॉ। हरिओम पंवार ने जिला अध्यक्ष से मुलाकात कर मेले में कवि सम्मेलन, मुशायरा आदि खास आयोजनों कराने के लिए कहा, बात नहीं बनी। अभी तक पटेल मंडप में होने वाले कार्यक्रम तय नहीं हो सके हैं। उससे भी बड़ी बात यह है कि विभिन्न आयोजनों के मद्देनजर कमेटियों का चयन नहीं हो सका है। अब विभाग का कहना है कि 10 अप्रैल को होने वाली बैठक में पटेल मंडप के कार्यक्रम तय हो सकते हैं।

नौ दिन चले अढ़ाई कोस

होली के बाद से तैयारियां शुरू करने का दावा जिला पंचायत विभाग कर रहा है तो वहीं धरातल पर कुछ भी नजर नहीं आ रहा है। ग्राउंड की साफ-सफाई के अलावा पटेल मंडल का मेंटीनेंस और रंगरोगन का काम भी धीमी गति से हो रहा है।

नहीं सहेज पा रहे विरासत

मेरठ का नौचंदी मेला देश-विदेश में अपनी खासियत के लिए पहचाना जाता रहा है। पटेल मंडप में पिछली 4 सालों से प्रसिद्ध कवि सम्मेलन और मुशायरा नहीं हो रहा है, बड़ी कोशिश के बाद नौचंदी मेले के कवि सम्मेलन का प्रतिष्ठा दिलाई थी तो मौजूदा दौर में होने वाले मुशायरों में न वो शायर जुटते है और न कवि।

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सियासी नूराकुश्ती में ऐतिहासिक नौचंदी मेला अपना ख्याति खो रहा है। सांस्कृतिक कार्यक्रम अब मेले में गौण हो गए हैं। क्रांतिधरा के विश्वप्रसिद्ध आयोजन में पिछली 4 सालों से कवि सम्मेलन नहीं हुआ है।

-डॉ। हरिओम पंवार, नामचीन कवि

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सियासत की हद दर्जे की दखलंदाजी से नौचंदी मेले ने अपना नूर खो दिया है। हमें देश-विदेश में पहचान मिलती है किंतु अपने ही शहर में मुहब्बत नहीं मिलती। नौचंदी मेले का स्तरीय आयोजन नहीं हो रहा है।

-पापुलर मेरठी, नामचीन शायर

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10 अप्रैल को होने वाली बैठक में पटेल मंडप में होने वाले प्रोग्राम तय कर दिए जाएंगे। नौचंदी मेले के आयोजन को खास बनाने का हर संभव प्रयास किया जाएगा।

-सीमा प्रधान, जिला पंचायत अध्यक्ष