- नवरात्र में शुभ मुहूर्त में होगी घट-स्थापना
DEHRADUN: नवरात्र अब नजदीक है। बाजार इसके लिए पूरी तरह से सज गए हैं तो वहीं मंदिर हो या घर हर जगह देवी के स्थान की विशेष सजावट कर दी गई है। नई मूर्तियां खरीदकर उन्हें आकर्षक तरीके से सजाया जा रहा है। वहीं घट स्थापना के लिए हर कोई पंडितों से शुभ मुहूर्त के बारे में जानकारी ले रहा है।
नौ रूपों की आराधना का पर्व
आचार्य भरत राम तिवारी के अनुसार देवी के नौ रूपों की आराधना का पर्व नवरात्रि 29 अक्तूबर से आश्विन शुक्ल पक्ष से प्रारंभ होगा। जो कि सात अक्तूबर तक रहेगा। 19 जुलाई से अस्त शुक्र ग्रह इसी दिन शाम 6.12 बजे पर उदय होगा। शुभ मुहूर्त का आरंभ फ्राइडे से ही हो जाएगा। आचार्य ने बताया कि आश्विन शुक्ल प्रतिपदा तिथि, हस्त नक्षत्र, ब्रहम योग, किंस्तुघ्न करण, कन्या राशि पर पंचग्रही योग बन रहा है।
ये है शुभ मुहूर्त
डा। आचार्य सुशांत राज के अनुसार इस वर्ष नवरात्र में घट स्थापना मुहूर्त 29 सितंबर को सुबह 7.40 बजे से 9.10 बजे तक तुला लग्न में रहेगा।
ये हैं विशेष मुहूर्त
- सुबह 11.48 से 12.08 बजे तक वृश्चिक लग्न में
- दोपहर 1.37 बजे से 3.07 बजे तक धनु-मकर लग्न में
- सात अक्तूबर को महानवमी और आठ अक्तूबर को दशहरा पर्व होगा।
ऐसे करें पूजा
शारदीय नवरात्र में नौ दिनों तक देवी को अलग-अलग स्वरूपों में सजाएं। नवरात्र के पहले दिन अखंड ज्योति जलाएं। अखंड ज्योति से घर और परिवार में शांति रहती है। देसी घी का दीपक जलाएं। ये घर की नकारात्मक ऊर्जा को कम करता है। जौ की बुवाई करे देवी को चढ़ाएं। हर दिन अलग-अलग प्रकार के भोग देवी को चढ़ाएं।
ये है देवी के नौ स्वरूप
प्रथम- शैलपुत्री
द्वितीय- ब्रहमचारिणी
तृतीय- चंद्रघंटा
चतुर्थ- कूष्मांडा
पंचम- स्कंदमाता
षष्ठम- कात्यायिनी
सप्तम- कालरात्रि
अष्ठम- महागौरी
नवम- सिद्धिदात्री
नौ दिन अलग-अलग रंग धारण कराएं
पहले दिन हरा, दूसरे दिन नीला, तीसरे दिन लाल, चौथे दिन नारंगी, पांचवें दिन पीला, छठे दिन नीला, सातवे दिन बैंगनी रंग, आठवें दिन गुलाबी, नौवे दिन सुनहरा रंग देवी को धारण कराएं।
देवी की अलग-अलग तरह की मूर्तियां इस बार लाई गई हैं। जिसमें छोट से लेकर बड़े आकार तक की मूर्तियां पसंद की जा रही है।
- मनीष गुप्ता, पशुपति पूजा ट्रेडर्स, हनुमान चौक
इन मंदिरों में विशेष आयोजन
- माता वैष्णों देवी गुफा मंदिर
- गीता भवन
- कालिका मंदिर
- पंचायती मंदिर
- श्री श्याम सुंदर मंदिर
- लक्ष्मी-नारायण मंदिर
- वैष्णों-दुर्गा मंदिर
- श्री सिद्धेश्वर मंदिर