हर कष्ट और बाधाओं से मिलेगी मुक्ति

-देवी भागवत महापुराण में भी है इन मंत्रों का जिक्र

-इनके विधान पूर्वक उच्चारण से दूर हो जाती हैं सारी बाधाएं

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ALLAHABAD: विज्ञान भी ये मान चुका है कि हमारे ग्रंथों व पुराणों में जिन मंत्रों का उल्लेख है, उनमें गजब की शक्ति है। श्रीमद्देवी भागवत महापुराण में भी कुछ ऐसे ही मंत्रों का जिक्र है, जिनके उच्चारण व प्रयोग से आप अपने जीवन के कष्टों का निवारण करने के साथ ही सुख की प्राप्ति कर सकते हैं।

रोगों से मुक्ति चाहते हैं तो

नवरात्र के द्वितीय दिन का विधान

एक स्टील के प्लेट में कुमकुम से स्वस्तिक बनाएं और उस प्लेट में अनार का शुद्ध रस भर दीजिये और वह प्लेट मां के चरणों में रखिये। साथ में आरोग्य प्राप्ति की कामना करें। आप चाहें तो किसी दूसरे व्यक्ति विशेष के लिए भी कर सकते हैं। इस प्रयोग में अनार के रस को देखते हुए ऊं ह्रीं आरोग्यवर्धीनी ह्रीं ऊॅं नम: का 30 मिनट तक जप करते रहें। दूसरे दिन स्नान करें और फिर अनार के रस से स्नान करें और जल से फिर एक बार शुद्धोदक स्नान करें। किसी और के लिए कर रहे हों तो उनको स्नान कराएं। संभव न हो तो अनार के रस को पीपल के वृक्ष में चढ़ा दें।

प्रयोग का समय- शाम को 6.30 से आठ बजे तक।

तंत्र बाधा से मिलेगी मुक्ति

तृतीय दिवस

सात काली मिर्च के दाने लीजिये। उसे सर से लेकर पैरों तक सात बार उतारिये और काले वस्त्र में बांध कर मां के चरणों में समर्पित करें और मंत्र का 36 मिनट तक जाप करें- ऊं क्रीं सर्व दोष निवारण कुरु कुरु क्रीं फट इस प्रयोग से तंत्र बाधा समाप्त होती है। प्रयोग के बाद दूसरे दिन सुबह काले वस्त्र के पोटली को जल में प्रवाहित कर दें।

साधना का समय रात्रि दस बजे से 12.24 बजे तक।

धन-धान्य, सुख-सौभाग्य में होगी वृद्धि

चतुर्थ दिवस

लाल वस्त्र में कुमकुम से स्वास्तिक निकालें और स्वस्तिक पर 9 कमलगट्टे स्थापित करें। उनका पूजन करें, साथ में 27 मिनट तक ऊं श्री प्रसीद प्रसीद श्रीयै नम: मंत्र का जाप करें। साधना से पूर्व एवं दूसरे दिन मां से प्रार्थना करें कि मेरा जीवन आपकी कृपा से धन-धान्य-सुख-सौभाग्य युक्त हो और वस्त्र सहित कमलगट्टे जल में प्रवाहित कर दें।

समय : रात्रि में 7.55 से 10.58 तक

व्यवसाय में वृद्धि का चाहिए लाभ तो

पंचम दिवस पर

पांच हरी इलायची मां के चरणों में समर्पित करें और व्यवसाय वृद्धि की कामना करें। साथ में श्री सूक्त का पांच बार पाठ करें। दूसरे दिन इलायची को किसी डिबिया में संभाल कर रखें तो शीघ्र ही व्यवसाय ही व्यवसाय में वृद्धि एवं लाभ की प्राप्ति होती है।

साधना समय 6.30 से रात्रि 11 बजे तक

गुरु कृपा की होगी प्राप्ति

षष्ठम दिवस पर

पांच केले मां के चरणों में समर्पित करें और मां से गुरुकृपा प्राप्ति की कामना करें। ऊं एं ह्रीं श्रीं श्रीं शक्ति सिद्धये नम: का 45 मिनट तक जाप करें। दूसरे दिन केले छोटे बालकों में बांट दें।

साधना का समय दोपहर 4.30 से रात्रि 9 बजे तक रहेगा।

बल, बुद्धि, विद्या के साथ होगी सुख की प्राप्ति

सप्तम दिवस पर

108 हरी चूडि़यां मां के चरणों में समर्पित करें और मां से बल, बुद्धि विद्या एवं सुख प्राप्ति की कामना करें। साथ में ऊं नमो भगवती जगदंबा सर्वकामना सिद्धि ऊॅं का 324 बार उच्चारण करें तथा दूसरे दिन 12-12 चूडि़यां नौ कन्याओं में बांट दें।

साधना का समय रात्रि नौ बजे से 1.30 बजे तक।

मनोकामना होगी पूर्ण

अष्टम दिवस पर

अष्टम दिवस पर दो समय साधना करनी है। सुबह छह से 7.47 के शुभ समय पर 109 लौंग की माला बनाएं। जिसमें एक लौंग मेरू होगा और इसी माला से ऊॅं 7 4 1 5 2 3 6 ऊं दुर्गायै नम: इस विशेष अंक मंत्र का एक माला जाप करें। मंत्र का उच्चारण होगा- ऊं सात चार एक पांच दो तीन छह ऊं दूं दुर्गायै नम:। मंत्र जाप के बाद माला को किसी दुर्गा के मंदिर जाकर शेर के गले में पहना दें और अपनी विशेष कामना शेर के कान में बोल दें या फिर आप माला को जहां कहीं दुर्गा जी की विग्रह की स्थापना हुई हो वहां भी यह कार्य कर सकते हैं।

माला पहनाने का समय होगा दोपहर में 11.30 से 12.30 तक।

शक्ति में होगी वृद्धि

नवमी तिथि

को नौ कुंवारी कन्या का पूजन करें और डिबिया अवश्य दें और ज्यादा से ज्यादा त्रि-शक्ति मंत्र का जाप करें-ऊॅं एं ह्रीं श्रीं ऊॅं नम:

कुंवारी कन्या पूजन का समय होगा सुबह 7.48 से रात्रि 6.57 तक।

हर क्षेत्र में मिलेगी विजय

दशमी-

यह दिवस विजय प्राप्ति का सर्वश्रेष्ठ दिवस है। ज्यादा से ज्यादा गुरुमंत्र का जाप करें एवं ऊं रां रामाय नम: का जाप करें। अवश्य ही आपको जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में पूर्ण विजय प्राप्त होगी।