शारदीय नवरात्रि के नौ दिनों के तीसरे दिन देवी के चंद्रघंटा स्वरूप के दर्शन-पूजन का विधान है। इन्हें चित्रघंटा देवी भी कहा जाता है। इनका दर्शन 12 अक्टूबर, शुक्रवार को होगा।

चंद्रघंटा देवी का मंदिर वाराणसी में ठठेरी बाजार के पास चित्रघंटा गली में स्थित है। इनके पूजन-ध्यान का समय सूर्योदय से पूर्व है। मान्यता है कि जब असुरों के बढ़ते प्रभाव से देवता त्रस्त हो गए तब देवी चंद्रघंटा रूप में अवतरित हुईं।

इस मंत्र का जप होता है विशेष

नवरात्रि 2018: असुरों के दमन के लिए अवतरित हुई थीं चंद्रघंटा देवी,यह है उनका बीज मंत्र

देवी के इस स्वरूप की आराधना में 'ऐं कारी सृष्टि रूपाया हृीं कारी प्रति पालिका-क्लींकारी काम रूपिण्ये बीजरूपे नमोस्तुते' मंत्र जप का विशेष महत्व है। देवी के मस्तक पर घंटे के आकार का अर्ध चंद्र सुशोभित है इसीलिए इनका नाम चंद्रघंटा पड़ा।

देवी का बीज मंत्र

नवरात्रि 2018: असुरों के दमन के लिए अवतरित हुई थीं चंद्रघंटा देवी,यह है उनका बीज मंत्र

ज्योतिषविद् पं चक्रपाणि भट्ट बताते हैं कि इनके दर्शन पूजन से प्राणी के इहलोक व परलोक सुधर जाते हैं। भगवती का बीज मंत्र 'हृीं' है। अद्र्धचंद्र से अलंकृत जो देवी का बीज है, वह सब मनोरथ पूर्ण करने वाला है। इस स्वरूप का पूजन सभी संकटों से मुक्त करता है। असुरों का संहार कर देवी ने देवताओं को संकट से मुक्त करा दिया था।

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