कानपुर (इंटरनेट डेस्क)। सूर्योदय कालीन आश्विन शुक्ल प्रतिपदा को नवरात्र प्रारम्भ अथवा घट स्थापना की जाती है। दो दिन तिथि व्याप्ति या अव्याप्ति की स्थिति में नवरात्र पहले ही दिन प्रारम्भ होते हैं। यदि प्रतिपदा सूर्योदय के पश्चात् एक मुहुर्त पहले ही समाप्त हो रही है। तो नवरात्र पहले ही दिन प्रारम्भ होते है। इस वर्ष आश्विन शुक्ल पक्ष प्रतिपदा का प्रारम्भ दिनाँक 17 अक्टूबर 2020,शनिवार से हो रहा। 17 अक्तूबर 2020,शनिवार को प्रतिपदा तिथि रात्रि 9:09 बजे तक* रहेगी परन्तु इस दिन चित्रा नक्षत्र पूर्वाह्न 11:51 बजे तक है। शास्त्रों के अनुसार चित्रा नक्षत्र के आद्य चर्तुथान्श रहित समय में नवरात्र घट स्थापना की जा सकती है। चित्रा नक्षत्र की समाप्ति 17 अक्तूबर 2020 को ही पूर्वाह्न 11:51 बजे हो रही है।

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कब तक रहेगा पुण्य काल
प्रातः काल 7:48 बजे से 9:14 बजे तक शुभ का चौघड़िया एवं चर,लाभ,अमृत का चौघड़िया मध्यान्ह 12:05 से अपराह्न 4:21 बजे के साथ सर्वार्थसिद्धि योग पूर्वाह्न 11:51बजे से सम्पूर्ण रात्रि एवं अमृत योग भी प्रातः 06ः24 बजे से रात्रि 9:09 बजे तक रहेगा।इस दिन शुभ का चौघड़िया मुहूर्त प्रातः 7:48 बजे से 9:14 बजे तक रहेगा तदोपरान्त मध्यान्ह 12:05 से अपराह्न 4:21 बजे तक चर,लाभ,अमृत का चौघड़िया रहेगा।इस दिन का अभिजित मुहूर्त काल भी मध्यान्ह 12:06 बजे से 12:51बजे तक रहेगा।द्विस्वाभाविक लग्न प्रातः 10:21बजे से मध्यान्ह 12:28 बजे तक रहेगी। इस दिन तुला की 30 मुहर्ती साम्यर्ध संक्रांति प्रातः 7:05 बजे से लग रही है जिसका पुण्य काल सूर्योदय से 11:51बजे तक रहेगा।

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कलश स्थापना का श्रेष्ठ मुहूर्त
कलश स्थापन का श्रेष्ठ मुहूर्त मध्यान्ह 12:05 बजे से 12:51बजे के बीच करना अति श्रेष्ठ रहेगा यद्यपि शुभ के चौघड़िया में भी प्रातः काल 7:48 बजे से 9:14 बजे तक घट स्थापना की जा सकती है क्योंकि इस वर्ष 17 अक्टूबर 2020,शनिवार को प्रतिपदा तिथि की प्रथम 16 घड़ियां लगभग प्रातः काल 7:25 बजे तक हैं।

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सरस्वती आवाहन
(21अक्टूबर 2020,बुधवार):-अमृत योग में करें सरस्वती आवाहन-- यह आश्विन मास के शुक्लपक्ष में मूल नक्षत्र के प्रथम पाद में दिन में मनाया जाता है।यदि मूल नक्षत्र सूर्यास्त से पूर्व तीन मुहूर्त से कम हो या प्रथम पाद रात्रि में विधमान हो तो आवाहन दूसरे दिन के समय में किया जाता है।इस दिन मूल नक्षत्र पूरे दिन-रात रहेगा।

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सरस्वती पूजन
(22 अक्टूबर 2020,गुरुवार) इस दिन पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र के प्रथम पाद में सरस्वती पूजन करने का विधान है।

महाअष्टमी
(24 अक्टूबर 2020,शुक्रवार)सर्वार्थसिद्धि एवं सिद्धि योग में करें महाअष्टमी पूजन--* सूर्योदय कालीन आश्विन शुक्ल अष्टमी को श्रीदुर्गाष्टमी मनाई जाती है।यह अष्टमी सूर्योदय बाद कम से कम एक घटी व्यापिनी तथा नवमी तिथि से युक्त होना चाहिए।सप्तमीयुता अष्टमी को सर्वथा त्याग देना चाहिए।अतः यह तिथि 24 अक्टूबर 2020,शनिवार को सूर्योदयान्तर एक घटी तक विधमान होने से इस दिन ही श्रीदुर्गाष्टमी मनाई जाएगी।यदि अष्टमी एक घटी से पूर्ण समाप्त हो या नवमी का क्षय हो तो पहले दिन मनाई जाती है। यदि अष्टमी दो दिन सूर्योदय व्यापिनी हो या न हो तो दोनो ही स्थिति में यह पहले ही दिन मनाई जाती है।

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अति विशेष
जहां सूर्योदय प्रातः 6:35 बजे अथवा इससे पहले होगा,वहाँ दुर्गाष्टमी(महाअष्टमी) 24 अक्टूबर को मनाई जाएगी।जहां सूर्योदय 6:35 के बाद होगा वहां दुर्गाष्टमी 23 अक्टूबर 2020,शुक्रवार को मनाई जाएगी।

महानवमी
(24 अक्टूबर 2020,शनिवार) आश्विन शुक्ल नवमी के दिन महानवमी होती है।यह दो प्रकार से मनाई जाती है:- 1-पूजा एवं उपवास हेतु। *2-बलिदान हेतु।* पूजा-उपवास के लिए नवमी अष्टमी विद्दा तथा जो सम्पूर्ण सांय काल को व्याप्त करे,ली जाती है, जबकि बलिदान हेतु नवमी दशमी विद्या ली जाती है।इस दिन 24 अक्तूबर 2020 को महानवमी का व्रत, हवन, आयुध पूजा,महानवमी कुमारी पूजा,उत्तराषाढ़ा नक्षत्र में सरस्वती देवी के निमित्त बलिदान आदि होगी तथा श्रवण नक्षत्र में सरस्वती विर्सजन होगा, श्रवण नक्षत्र पूरे दिन रात रहेगा।

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ज्योतिषाचार्य पं राजीव शर्मा
बालाजी ज्योतिष संस्थान,बरेली।