3 अप्रैल: मास शिवरात्रि व्रत।
5 अप्रैल:
स्नान दान श्राद्धादि की चैत्री अमावस्या।
6 अप्रैल:
चैत्र मास शुक्ल पक्षारंभ। चैत्र वासंतिक नवरात्रारंभ। कलश स्थापना। नवसंवत्सरोत्सव। गुड़ी पड़वा।
8 अप्रैल:
गणगौर।
9 अप्रैल:
वैनायकी श्री गणेश चतुर्थी व्रत।

निर्झरिणी
आयु शरीर से अधिक मन की अवस्था है। यदि आपका मन सकारात्मक कार्यो में लगा रहता है, तो जीवन की आयु कितनी है, इससे कोई फर्क नही पड़ता है। -संत नामदेव

यथार्थ गीता
नासतो विद्यते भावो नाभावो विद्यते सत:। उभयोरपि दृष्टोअंतस्त्वनयोस्तत्वदर्शिभि:।

अर्जुन, असत् वस्तु का अस्तित्व नहीं है। वह है ही नहीं। उसे रोका नहीं जा सकता और सत्य का तीनों काल में अभाव नहीं है, उसे मिटाया नहीं जा सकता।

अर्जुन ने पूछा-क्या भगवान होने के नाते आप कहते हैं?

श्रीकृष्ण ने बताया- मैं तो कहता ही हूं। इन दोनों का यह अंतर हमारे साथ-साथ तत्वदर्शियों द्वारा भी देखा गया है।

श्रीकृष्ण ने वही सत्य दोहराया, जो तत्वदर्शियों ने कभी देख लिया था। श्रीकृष्ण भी एक तत्वदर्शी महापुरुष थे। परमतत्व परमात्मा का प्रत्यक्ष दर्शन करके उसमें स्थितिवाले तत्वदर्शी कहलाते हैं।

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