कन्याओं को देवी दुर्गा का साक्षात रूप माना जाता है, महाअष्टमी को उनका पूजन होता है जिसे हम कुमारी पूजन के नाम से जानते हैं। देश के कई भागों में नवरात्रि के दौरान सभी नौ दिन कुमारी पूजा होती है,लेकिन महाअष्टमी के दिन कन्या पूजन का विशेष महत्व माना गया है।

सभी मनोकामनाओं को पूरा करने वाला

नवरात्रि के सभी नौ दिन कन्या पूजन के लिए उपयुक्त माने गए हैं। पहले दिन एक कन्या का पूजन किया जाना चाहिए व इसी प्रकार अगले दिन दो फिर तीन करके कन्याओं की संख्या बढ़ाते जाना चाहिए। हालांकि अधिकतर लोग अष्टमी या नवमी तिथि को कन्या पूजन करते हैं। दिन व तिथि का निर्धारण आप अपनी परंपरा के मुताबिक कर सकते हैं। दो से दस वर्ष तक की कन्याओं का पूजन किया जाता है, वे देवी दुर्गा के नौ अलग-अलग रूपों का प्रतिनिधित्व करती हैं। कन्या पूजन सभी प्रकार की मनोकामनाओं को पूरा करने वाला, वैभव और सुख-समृद्धि देने वाला माना जाता है।

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कन्या पूजन का शुभ मुहूर्त

महाअष्टमी का पूरा दिन शुभ होता है, इस दिन सूर्योदय के बाद व सूर्यास्त से पहले किसी भी समय कन्या पूजन किया जा सकता है। साथ ही कन्याओं को भोजन कराया जा सकता है। अगर आप नवमी तिथि को कन्या पूजन करना चाहते हैं, तो दोपहर 12 बजकर 38 मिनट से पहले का समय अच्छा है।