कानपुर (इंटरनेट डेस्क)। नवरात्रि पर्व पर देवी पूजा का विशेष महत्व होता है। नौ दिनों तक चलने वाले इस पर्व में अष्टमी पर पूजा करने से मनचाहा फल मिलता है। इस बार 24 अक्टूबर 2020,शनिवार को उदयातिथि मे अष्टमी पूजन करना शुभ है। सर्वार्थसिद्धि एवं सिद्धि योग में दुर्गाष्टमी/कन्या पूजन करने का विशेष महत्व है। हालांकि इस बार अष्टमी को लेकर काफी कंफ्यूजन है। जिन नगरों का सूर्योदय प्रातः 6:35 बजे से कम है, वहां दुर्गाष्टमी 24 अक्टूबर 2020,शनिवार को तथा जिन नगरों का सूर्योदय 6:35 बजे के बाद है वहां 23 अक्टूबर 2020,शुक्रवार को दुर्गाष्टमी पूजन उचित रहेगा। उप्र के अधिकांश नगरों में सूर्योदय प्रातः 6:59 से पहले है अतः दुर्गाष्टमी 24 अक्टूबर 2020,शनिवार को मनाना शास्त्र सम्मत है।

अष्टमी में सर्वार्थसिद्धि योग
इस बार नवरात्र महोत्सव की अष्टमी में सर्वार्थसिद्धि योग( प्रातः 6:28 बजे से पूरे दिन रात) एवं सिद्धि योग भी (प्रातः 6:59 बजे से पूरे दिन रात) रहेगा। इसके अलावा शुभ फल देने वाला "श्रवण नक्षत्र" भी विधमान रहेगा। श्रीदुर्गाष्टमी(आश्विन शुक्ल अष्टमी) शास्रानुसार दिनाँक 24 अक्टूबर 2020,शनिवार को मनाई जाएगी। निर्णयसिंधु ग्रंथ के अनुसार उदयव्यापिनी नवमीयुता आश्विन शुक्ल अष्टमी सूर्योदयान्तर कम से कम एक घटी व्यापिनी अवश्य होनी चाहिए।यहां विशेष बात यह है कि 23 अक्टूबर 2020,शुक्रवार को विधमान अष्टमी के साथ प्रातः सूर्योदय के समय सप्तमी का संपर्क होने से दुर्गाष्टमी व्रत नहीं किया जा सकता है, क्योंकि यह व्रत सप्तमी तिथि में ग्राह्म नहीं है और 24 अक्टूबर 2020,शनिवार को यह तिथि सूर्योदयान्तर एक घटी तक विधमान होने से दुर्गाष्टमी व्रत दिनाँक 24 अक्टूबर 2020,शनिवार को ही किया जाएगा।

दुर्गाष्टमी पर करें कन्याओं का पूजन
उपासक को असत्य से सत्य की ओर ले जाने के लिए दुर्गाष्टमी पर मां महागौरी का एवं कन्याओं का पूजन करना चाहिए। अष्टमी के दिन दुर्गाष्टमी का पूजन सर्वत्र अपने कुल को बढ़ाने वाली इष्टदेवी,कुलदेवी, महागौरी की उपासना की जाती है।यह आठ वर्षीया कन्या हैं तथा वृषभ (सांड) पर बैठीं हैं।इनका ध्यान मंत्र निम्न है:-

श्वेते वृषेसमारुढा श्वेतांबर धराशुचिः ।
महागौरी शुभंदधातु महादेव प्रमोददा ।

इन्होंने जब शिव को वरने का व्रत ले अत्यंत कठोर तपस्या की तो ये(कष्टों) से काली पड़ गईं।जब शिव ने इन्हें इच्छित वर दिया।गंगाजल से स्नान भी स्वयं महादेव ने कराया तो यह अत्यंत गौर वर्ण हो गई।

ज्योतिषाचार्य पं राजीव शर्मा
बालाजी ज्योतिष संस्थान, बरेली।