RANCHI: नक्सलियों और अपराधियों के बैंक अकाउंट्स अब पासवर्ड से चल रहे हैं। एनआईए की जांच ने लेवी वसूली से लेकर मनी ट्रांजेक्शन करने वालों के बीच हड़कंप मचा कर रख दी है। इससे बचने के लिए नक्सलियों-उग्रवादियों और अपराधियों ने भी मोबाइल बैंकिंग और इंटरनेट बैंकिंग का जबरदस्त तरीके से इस्तेमाल शुरू कर दिया है। लेवी के काले रुपए को धड़ल्ले से सफेद किया जा रहा है और इसके लिए महज एक पासवर्ड के सहारे सारा काम अंजाम दिया जा रहा है। नोटबंदी के बाद नक्सली संगठनों के थिंक टैंक ने यह निर्णय लिया कि किसी भी लोकल रूरल के नाम से बैंक खाता खोलकर उसका इस्तेमाल नक्सलियों द्वारा किया जाए। खुफिया विभाग के अधिकारियों को भी इसकी सूचना लग चुकी है, लेकिन अब तक इससे जुड़े सुराग हाथ नहीं लग पा रहे हैं।

खलारी-चतरा में कई करोड़पति

खलारी-चतरा इलाके में टीपीसी की जबरदस्त वसूली है। कोयला पर फिक्स लेवी से करोड़ों रुपए की उगाही की जा रही है। एनआईए मामले की जांच कर रही है और कई सफेदपोशों पर शिकंजा भी कसा जा रहा है। इससे परेशान होकर कुछ स्थानीय लड़कों साथ ही साथ बेनामी नाम के कुछ खातों को भी खुलवाया गया है, जिनसे टीपीसी के लोग मोबाइल बैंकिंग के जरिए ट्रांजेक्शन कर रहे हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि हाल के दिनों में कुछ लोगों का रहन-सहन ही बदल गया है। इनके पास रुपए कहां से आए, इसका पता नहीं चल पा रहा।

बैंकों को बिजनेस, इसलिए खामोश

इस सारे खेल में कुछ बैंक अधिकारियों की भी संलिप्तता के प्रमाण मिल रहे हैं। बैंकों को इन नक्सलियों-उ्रग्रवादियों की सांठ-गांठ से बिजनेस तो मिल ही रहा है। साथ ही साथ सेफ्टी भी मिल रही है। यही कारण है कि इलाकों में काम करने वाले बैंक सारे मामले को दबाए रखना चाहते हैं। एनआईए की जांच अगर बैंकों की तरफ मुड़ी तो कई बैंक अधिकारियों पर गाज गिर सकती है।

ठेकेदारी से कोल ट्रांसपोर्टिग तक

एनआईए की जांच में जो तथ्य सामने आए हैं, उनसे यह खुलासा हो चुका है कि अधिकतर नक्सली-उग्रवादी ठेकेदारी से लेकर कोल ट्रांसपोर्टिग तक का काम करने लगे हैं। इनके डर से स्थानीय ट्रांसपोर्टर और ठेकेदारों ने इलाका ही छोड़ दिया है। यह सारा कारोबार कंपनी बनाकर उसके नाम से किया जा रहा है। कंपनी का ही बैंक अकाउंट खोला जाता है, जिनसे करोड़ों रुपए के ट्रांजेक्शन किए जाते हैं।

वर्जन

पुलिस एनआईए को हर संभव सहायता कर रही है। नक्सलियों और उ्रग्रवादियों के कई बैंक खातों को सील कर दिया गया है। साथ ही साथ उनकी संपत्ति भी अटैच की जा रही है। उग्रवादियों को सपोर्ट करने वालों पर शिकंजा कसता जा रहा है।

साकेत कुमार सिंह, आईजी ऑपरेशन सह पुलिस प्रवक्ता