- अब एनसीईआरटी सिलेबस वाली बुक्स की क्वालिटी पर उठ रहे सवाल

- बुक्स का टोटा बरकरार, छुट्टियों से पहले बुक्स की कमी दूर करना मुश्किल

देहरादून, एनसीईआरटी सिलेबस वाली बुक्स को लेकर एक बार फिर सवाल खड़े हो रहे हैं। पहले बुक्स की कमी फिर ओवरप्राइसिंग की कंप्लेन से शिक्षा विभाग परेशान है। ये परेशानियां बरकरार हैं और अब बुक्स में मिस पि्रंटिंग और खराब प्रिंटिंग को लेकर शिकायतें आ रही हैं।

बुक्स में कई पेज खाली

प्रदेश सरकार की एनसीईआरटी सिलेबस वाली बुक्स लागू करने के फैसले के चलते कई स्टूडेंट्स अभी भी बिना किताबों के पढ़ाई कर रहे हैं। 20 मई के बाद स्कूलों में समर वेकेशन्स शुरू होने वाली है, इससे पहले बुक्स का पूरा स्टॉक बाजार में आ पाएगा इसकी संभावना कम है। इधर जो स्टॉक बाजार में उपलब्ध है, उसे लेकर कई कंप्लेन आ रही हैं। पैरेंट्स की शिकायत है कि बुक्स में बहुत ज्यादा मिस प्रिंटिंग है और प्रिंटिंग खराब भी है। कई बुक्स में पूरे-पूरे पेज बिना प्रिंटिंग के ही पाए जा रहे हैं। कारगी स्थित साहित्य व‌र्ल्ड के ओनर राजेन्द्र बहुगुणा ने बताया कि अधिकतर बुक्स की क्वालिटी खराब है। जिसे पैरेंट्स और बच्चे खरीदने से इनकार कर रहे हैं। इसके साथ ही बुक्स में पेजों की पोजिशन भी सही नहीं है।

बुक्स की कमी बरकरार

एनसीईआरटी सिलेबस वाली बुक्स का टोटा अब भी बरकरार है। मैथ्स की बुक्स की अभी भी डिमांड है। जो बुक्स अभी भी आउट ऑफ स्टॉक हैं उनमें क्लास फिफ्थ की मैथ्स, इंग्लिश, सिक्सथ की मैथ्स, सेवंथ की मैथ्स शामिल हैं। राजेन्द्र बहुगुणा ने बताया कि अब आखिरी स्टॉक मिलने की बात की जा रही है। लेकिन, समस्या का समाधान कब तक होगा ये नहीं का जा सकता है।

जून तक होगी डिमांड पूरी

शिक्षा निदेशक आरके कुंवर ने बताया कि दूसरे फेज के टेंडर की बुक्स भी छपने लगी हैं। जो धीरे-धीरे बाजार में आ जाएंगी। कहा कि पहले क्लास 1 और क्लास 2 की बुक्स छापी जा रही हैं, जून तक बुक्स का पूरा स्टॉक बाजार में उपलब्ध कराया जाएगा। इसके बाद बुक्स की कमी नहीं होगी। बताया कि बाजार में प्रदेश सरकार द्वारा छपवाई जा रही बुक्स के अलावा एनसीईआरटी की बुक्स भी बाजार में उपलब्ध हैं। ऐसे में बुक्स की कोई कमी नहीं है।

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बाजार में बुक्स की कमी को जल्द पूरा कर लिया जाएगा। पहली बार अपने स्तर से बुक्स छपवाई जा रही हैं। थोड़ी कमियां हो सकती हैं। उन्हें दूर किया जा रहा है।

आरके कुंवर, शिक्षा निदेशक

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जो बुक्स आ रही हैं उनकी क्वालिटी बहुत खराब है। इतना ही नहीं कई पेज खाली तो कई मिस प्रिंट भी हैं। जबकि बुक्स की पहले से ही कमी चल रही है।

राजेन्द्र बहुगुणा, ऑनर, साहित्य व‌र्ल्ड