नई दिल्ली (एएनआई)। नेशनल कंपनी लॉ अपीलेट ट्रिब्यूनल (एनसीएलएटी) ने बुधवार को साइरस मिस्त्री को टाटा समूह के कार्यकारी अध्यक्ष के रूप में बहाल किया और माना कि एन चंद्रशेखरन की नियुक्ति अवैध थी। हालांकि, ट्रिब्यूनल ने कहा कि बहाली आदेश चार सप्ताह के बाद लागू होगा, इसी बीच टाटा को इस मामले में अपील दायर करने की अनुमति दी। नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (एनसीएलएटी) की मुंबई पीठ ने मिस्त्री को हटाने के सिलसिले में चुनौती देने वाली दो निवेश फर्म साइरस इन्वेस्टमेंट प्राइवेट लिमिटेड और स्टर्लिंग इन्वेस्टमेंट कॉर्प द्वारा दायर याचिकाओं को खारिज कर दिया।

2016 में मिस्त्री को पद से हटाया गया
टाटा संस के छठे चेयरमैन मिस्त्री को अक्टूबर 2016 में पद से हटा दिया गया था। दिसंबर 2012 में रतन टाटा द्वारा सेवानिवृत्ति की घोषणा के बाद उन्होंने अध्यक्ष का पद संभाला था। मिस्त्री ने एनसीएलटी की मुंबई पीठ के 9 जुलाई के आदेश को चुनौती दी थी जिसमें टाटा संस के चेयरमैन के पद से हटाए जाने के खिलाफ याचिका खारिज कर दी थी। ट्रिब्यूनल की एक विशेष पीठ ने माना कि टाटा संस के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स कंपनी के कार्यकारी अध्यक्ष को हटाने के लिए 'सक्षम' थे। एनसीएलटी पीठ ने यह भी कहा कि मिस्त्री को इसलिए बाहर किया गया था क्योंकि टाटा संस के बोर्ड और उसके अधिकांश शेयरधारकों का उनके प्रति विश्वास कम हो गया था।

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