अधिसूचना पर रोक नहीं

एसोसिएशन वोडाफोन, भारती एयरटेल तथा रिलायंस समेत 21 टेलीकॉम ऑपरेटरों और भारत में एकीकृत टेलीकॉम सेवा प्रदाताओं की संस्था है। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि उसने रिट याचिकाएं दाखिल होने से ट्राई की अधिसूचना पर रोक नहीं लगाई थी। इसलिए यह ट्राई पर निर्भर है कि वह 1 जनवरी, 2016 से अपने आदेश को लागू करे। कोर्ट ने कहा कि ट्राई कानून की धारा 36 के तहत ट्राई के ऐसा नियमन बनाने के अधिकार को लेकर कोई विवाद नहीं है। यह नियमन कानून में दिए गए अधिकार से ही उपभोक्ताओं के हितों को ध्यान में रखकर बनाया गया है। कोर्ट ने कहा कि इसका उल्लेख करना प्रासंगिक है कि यह नियमन हर कॉल ड्रॉप पर जुर्माना नहीं करता है, बल्कि रोजाना प्रति उपभोक्ता अधिकतम तीन कॉल ड्रॉप तक सीमित है।

टैरिफ स्ट्रक्चर में हस्तक्षेप

यह हर्जाना कॉल करने वाले उपभोक्ताओं को मिलेगा न कि कॉल रिसीव करने वाले को। टेलीकॉम ऑपरेटरों ने ट्राई के नियमन को हाई कोर्ट में यह कहते हुए चुनौती दी थी कि यह बिना गलती साबित हुए दंडित करने वाला है। कंपनियों ने इस नियमन को "मनमाना" बताते हुए कहा था कि उपभोक्ताओं को हर्जाना देने का मामला कंपनियों के टैरिफ स्ट्रक्चर में हस्तक्षेप है, जो सिर्फ आदेश के जरिए किया जा सकता है न कि नियमन से। लेकिन अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल पीएस नरसिम्हा का कहना था कि यह नियमन उपभोक्ताओं के हित में है।

एक रुपया जुड़ जाएगा

2015 को हर्जाना नीति की घोषणा की थी, जिसके अनुसार प्रति कॉल ड्रॉप मोबाइल उपभोक्ताओं के बैलेंस में एक रुपया जुड़ जाएगा, जो रोजाना अधिकतम तीन कॉल ड्रॉप के लिए होगा। यह नीति पहली जनवरी, 2016 से प्रभावी है। ट्राई ने कहा था कि यह नीति नियमन कॉल ड्रॉप को देखते हुए बनाई गई। वर्ष 2015 की पहली तिमाही में करीब 25,787 करोड़ ऑउटगोइंग फोन कॉल्स हुए, जिनमें से कॉल ड्रॉप की करीब 200 करोड़ शिकायतें मिलीं। ट्राई के मुताबिक, यह कुल फोन कॉल्स का 0.77 प्रतिशत था। इस दौरान सेवा  प्रदाताओं ने 36,781 करोड़ रुपए की कमाई की।

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