बेंगलुरू (पीटीआई)। लिंकडिन के सर्वे में खुलासा हुआ है कि 47 फीसदी कामकाजी महिलाएं भावनात्मक रूप से बीमार हैं और वे कोरोना वायरस महामारी की वजह से तनाव या चिंता में हैं। पुरुषों में यह संख्या 38 प्रतिशत है। रिपोर्ट में कहा गया है कि परीक्षा की इस घड़ी में महामारी ने महिलाओं को ज्यादा प्रभावित किया है। लिंकडिन ने बृहस्पतिवार को लिंकडिन वर्कफोर्स कांफिडेंस इंडेक्स के 10वां संस्करण की घोषणा करते हुए यह खुलासा किया। यह रिपोर्ट लिंकडिन देश के कामकाजी लोगों को लेकर हर पखवाड़े जारी करता है।

बच्चों की देखभाल में आने वाली चुनौतियों की भी पड़ताल

सर्वे में भारत के 2,254 प्रोफेशनल्स की प्रतिक्रिया ली गई है। यह रिपोर्ट 27 जुलाई से 23 अगस्त वाले सप्ताह के दौरान बातचीत पर आधारित है। इसमें कोरोना वायरस महामारी का भारत के वर्किंग मदर्स और वर्किंग वुमन पर प्रभाव को शामिल किया गया है। इसमें कहा गया है कि पर्सनल फाइनेंस और रोजगार की संभावनाओं को लेकर फ्रीलांसर्स की उम्मीदों पर ध्यान दिया गया है। लिंकडिन ने अपने बयान में कहा कि सर्वे में महामारी के दौरान बच्चों की देखभाल में आने वाली चुनौतियों पर भी पड़ताल की गई है।

वर्किंग मदर्स के सामने बच्चों की देखभाल ज्यादा बड़ी चुनौती

लिंकडिन के सर्वे में यह बात सामने आई है कि भारत में लगातार लोगों का भरोसा बढ़ रहा है। लिंकडिन ने सर्वे के हवाले से बयान में कहा कि वर्किंग मदर्स के लिए रिमोट वर्किंग अभी दूर की कौड़ी है। सर्वे के मुताबिक, वर्तमान में 31 प्रतिशत यानी तीन से करीब एक वर्किंग मदर फुल टाइम बच्चों की देखभाल कर रही है। वर्किंग फादर्स का यह आंकड़ा 17 प्रतिशत यानी पांच में से एक का है। इसमें कहा गया है कि यह दुखद है कि काम के बाद पांच में से करीब दो यानी 44 प्रतिशत वर्किंग मदर्स को काम के बाद बच्चों की देखभाल करनी पड़ती है। पुरुषों के मामले में यह आंकड़ा 25 प्रतिशत है।

घर पर बच्चों की वजह काम पर फोकस नहीं कर पाती मां

सर्वे के आंकड़े बताते हैं कि केवल पांच में से एक यानी 20 प्रतिशत वर्किंग मदर बच्चों की देखभाल के लिए अपने परिवार के सदस्य या दोस्तों पर भरोसा करती है। जबकि पुरुषों में यह आंकड़ा 32 प्रतिशत है। इसमें कहा गया है कि 46 प्रतिशत से ज्यादा वर्किंग मदर्स काम पूरा करने के लिए देर तक काम करती हैं। बच्चों के घर पर होने के कारण 42 प्रतिशत कामकाजी मां अपने वर्क पर ठीक से फोकस नहीं कर पाती हैं। सर्वे में यह फीलांसर्स को लेकर यह बात सामने आई है कि चार में से एक यानी 25 प्रतिशत को उम्मीद है कि उनकी आय में इजाफा होगा। वहीं 27 प्रतिशत यह मानते हैं कि उनकी पर्सनल सेविंग में बढ़ोतरी होगी। वहीं 31 प्रतिशत यह भी मानते हैं कि अगले छह महीनों में उनका निवेश बढ़ेगा।

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