- कांग्रेस की सीएम उम्मीदवार ने की पहली प्रेस कांफ्रेंस

- मुरादाबाद मेयर चुनाव को छोटी हार दिया करार

- दंगों और कानून-व्यवस्था पर प्रदेश सरकार को घेरा

LUCKNOW: दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री और यूपी में कांग्रेस की सीएम पद की उम्मीदवार शीला दीक्षित ने गौरक्षा पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा दिए गये बयान पर असहमति जताते हुए कहा कि गौरक्षा पर भाषण की नहीं, एक्शन की जरूरत है। जो लोग गौरक्षा की बात करते हैं, उन्हें सड़कों पर घूमती गाय नजर नहीं आती है। कहा कि कांग्रेस इसके लिए बाकायदा प्रोग्राम लाने वाली है। इसके लिए गौशालाओं का निर्माण कराया जाएगा। कहा कि केंद्र सरकार दावे तो बड़े कर रही है, लेकिन धरातल पर काम नहीं दिख रहा है।

चुनाव लड़ने पर फैसला नहीं

कांग्रेस का सीएम फेस बनने के बाद शीला दीक्षित सोमवार को पहली बार पत्रकारों को संबोधित कर रही थीं। यूपी से चुनाव लड़ने पर कहा कि अभी इस बारे में कोई फैसला नहीं लिया गया है। केंद्रीय नेतृत्व चाहेगा तो वे जरूर चुनाव लड़ेंगी। साफ किया कि कांग्रेस अकेले ही विधानसभा चुनाव लड़ेगी। पार्टी प्रत्याशियों की घोषणा के बारे में कहा कि यह काम स्क्रीनिंग कमेटी का है। हमारे पास तमाम आवेदन आ चुके हैं, जिनका परीक्षण जारी है। दावा किया कि कांग्रेस ही यूपी में सरकार बनाएगी, लेकिन इसकी रणनीति क्या होगी, इस बारे में वे स्पष्ट नहीं बता सकी। कहा कि पार्टी के घोषणा पत्र में रणनीति का खुलासा किया जाएगा।

सपा सरकार पर निशाना

सपा सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि हाल ही में नोएडा जाकर बुलंदशहर कांड के पीडि़तों से मिलने पर उन्हें बहुत पीड़ा हुई। ऐसे मामले यूपी में बहुत सारे हो चुके हैं। इस सरकार में 150 से ज्यादा दंगे हुए, इस रिकॉर्ड को सुधारना होगा। यूपी में बिजली और रोजगार की समस्या है। लोग अन्य प्रदेशों में काम के लिए पलायन कर रहे हैं। पर्याप्त अस्पताल नही है। बनारस और कानपुर जैसे इंडस्ट्रियल हब बदहाली का शिकार बन चुके है। कहा कि यूपी की जनता ने भाजपा, सपा, बसपा का शासनकाल देख लिया है। लोगों को अहसास हो चुका है कि कांग्रेस ही प्रदेश का विकास कर सकती है। 27 साल पहले नारायण दत्त तिवारी के कार्यकाल में ही यूपी का विकास हुआ था। बनारस में सोनिया गांधी का ऐतिहासिक रोड शो जनता के भरोसे का प्रमाण है।

मुरादाबाद की हार छोटी

मुरादाबाद मेयर चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी की हार को 'छोटा' बताते हुए कहा कि लोकतंत्र में हार-जीत चलती रहती है। हार से सबक लेकर आगे बढ़ते रहना चाहिए। इंदिरा गांधी भी एक बार बुरी तरह हारी थी, लेकिन बाद में बहुमत की सरकार बनायी। इस अवसर पर पूर्व आईपीएस अधिकारी वसीम अहमद ने अपने समर्थकों के साथ कांग्रेस की सदस्यता भी ग्रहण की।