यह है कीमत

400 रुपये और मांग वाले ग्रुप का ही डोनर जरूरी है सरकारी अस्पताल में भर्ती मरीज के लिए

1050 रुपये और मांग वाले ग्रुप का ही डोनर जरूरी है निजी अस्पताल में भर्ती मरीज के लिए

1450 रुपये और मांग वाले ग्रुप का ही डोनर जरूरी है निजी अस्पतालों के ब्लड बैंक में

Meerut। इन दिनों गर्मी बढ़ने से हीट स्ट्रोक का खतरा बढ़ गया है। वेक्टर बोर्न डिजीज की भी मार से ब्लड की डिमांड ज्यादा रहने की आशंका है। लेकिन जिन सरकारी ब्लड बैंकों पर इस मांग को पूरा करने की जिम्मेदारी है, उनकी लापरवाही का आलम यह है कि आरएच नेगेटिव ग्रुप का ब्लड उपलब्ध ही नहीं है, न तो जिला अस्पताल के ब्लड बैंक में और न ही मेडिकल कॉलेज में।

नहीं िमल रहा खून

वेस्ट यूपी के सबसे बड़े हायर सेंटर मेडिकल कॉलेज के ब्लड बैंक में रोजाना करीब 70 से 100 यूनिट ब्लड की डिमांड चल रही है। ऑपरेशन और गायनी वार्ड में सबसे ज्यादा ब्लड की मांग होती है। निगेटिव ब्लड के लिए भी रोजाना 8 से 10 यूनिट की डिमांड आती है। जिला अस्पताल में भी महीने में 60 से 70 यूनिट निगेटिव ब्लड की डिमांड आ रही है। दोनों ही अस्पतालों में मरीजों को इस ग्रुप का ब्लड नहीं मिल रहा है।

इन्होंने गिनाए कारण

निगेटिव ब्लड के डोनर बहुत कम होते हैं। डिमांड ज्यादा होने से स्टॉक में यह ब्लड उपलब्ध नहीं हो पाता है। गर्मियों में ब्लड डोनेशन कैंप भी काफी कम लग रहे हैं, जबकि सरकारी ब्लड बैंक ब्लड डोनेशन पर ही चलते हैं।

डॉ। कौशलेंद्र सिंह, ब्लड बैंक इंचार्ज, जिला अस्पताल

निगेटिव ब्लड की पूर्ति डिमांड के मुताबिक नहीं हो पाती। महीने में दो-चार यूनिट निगेटिव ब्लड ही डोनेशन में मिल पाता है। कई बार इसे डोनर व चार्ज फ्री करना होता है, ऐसे में यह स्टॉक में जीरो हो जाता है।

डॉ। अजीत चौधरी, सीएमएस, मेडिकल कॉलेज

मरीज सरकारी अस्पताल में ही एडमिट है लेकिन हमें बाहर से निगेटिव ब्लड खरीदना पड़ रहा है। बाहर तीन गुना रेटों पर खून मिलता है।

प्रदीप, तीमारदार

अस्पताल में ब्लड नहीं मिल रहा है। हापुड से हमें यहां रेफर किया है। यहां आने के बाद महंगा खून ही बाहर से ला रहे हैं।

बबीता गोयल, मरीज

यह है स्टॉक

जिला सरकारी अस्पताल के ब्लड बैंक के स्टॉक 351 यूनिट ब्लड हैं। इसमें से ए, बी, एबी व ओ निगेटिव ब्लड ग्रुप की एक भी यूनिट स्टॉक में नहीं हैं। जबकि ए पॉजिटिव ब्लड ग्रुप भी स्टॉक में नहीं हैं। होल ब्लड कॉम्पोनेंट के केवल 77 यूनिट ही स्टॉक में शेष हैं। इनमें बी पॅाजिटिव की 22, एबी पॉजिटिव की 3, ओ पॉजिटिव ग्रुप की 52 यूनिट स्टॉक में हैं।

मेडिकल कॉलेज के ब्लड बैंक की स्थिति और भी खराब है। यहां मात्र 201 ब्लड यूनिट ही स्टॉक में उपलब्ध हैं। इसमें ए, बी, एबी, ओ निगेटिव ग्रुप का एक भी होलब्लड कोम्पोनेंट उपलब्ध नहीं हैं। जबकि ए पॉजिटिव की 42, बी पॉजिटिव की 38, एबी पॉजिटिव की 7, ओ पॉजिटिव की 38 यूनिट ही उपलब्ध हैं।

जिला अस्पताल में

पीआरबीसी कॉम्पोनेट के तहत ए पॉजिटिव ग्रुप की 11, बी पॉजिटिव 80, एबी पॉजिटिव की 7, ओ पॉजिटिव 14 यूनिट हैं। वहीं एफएफपी कॉम्पोनेंट के ए पॉजिटिव ग्रुप की 59, बी पॉजिटिव 80, एबी पॉजिटिव की 10, ओ पॉजिटिव 13 यूनिट शेष हैं जबकि पीसी यानि प्लेटलेट्स कॉम्पोनेट की एक भी यूनिट यहां उपलब्ध नहीं हैं।

मेडिकल में पीआरबीसी काम्पोनेंट की ए निगेटिव की 4, बी निगेटिव की 1, ओ निगेटिव की मात्र चार यूनिट ही उपलब्ध हैं जबकि एबी निगेटिव की एक भी यूनिट नहीं हैं।