जस्टिस डिकगैंग मॉसेनेके ने कहा कि उन्होंने 40 पेज के दस्तावेज़ को संक्षिप्त कर दिया है. उन्होंने कहा कि उन्हें वसीयत को लेकर "किसी विवाद की जानकारी नहीं है."

वसीयत के अनुसार मंडेला के सभी नज़दीकी निजी कर्मचारियों को 50,000 रैंड मिलेंगे.

जिन स्कूलों में मंडेला पढ़े थे उन्हें एक लाख रैंड दिए जाएंगे. मंडेला ने वसीयत में चार अन्य शैक्षिक संस्थानों में छात्रवृत्ति के लिए एक लाख रैंड देने को कहा है.

नोबेल और भारत रत्न

एग्ज़ीक्यूटर यानी कार्य निष्पादन अधिकारी ने कहा कि मंडेला का परिवार उनकी वसीयत से 'काफ़ी ख़ुश' था. उन्होंने कहा कि जब वसीयत पढ़ी गई तब मंडेला परिवार 'भावनाओं से ओत-प्रोत था लेकिन सब ठीक रहा.'

मंडेला परिवार के ट्रस्ट को 15 लाख रैंड और रॉयल्टी मिलेंगी.

अफ़्रीकी नेशनल कांग्रेस यानी एएनसी को भी रॉयल्टी का कुछ हिस्सा मिलेगा, जिसे पार्टी की कार्यकारी समिति अपने विवेक से, पार्टी के सिद्धांतों और नीतियों के प्रसार के लिए, इस्तेमाल कर सकती है.

वसीयत को 90 दिन की अवधि के दौरान चुनौती दी जा सकती है.

नेल्सन मंडेला ने दक्षिण अफ़्रीका में रंगभेदी सरकार की जगह एक लोकतांत्रिक बहुनस्लीय सरकार बनाने के लिए लंबा संघर्ष किया और इसके लिए वह 27 साल तक जेल में रहे. फ़रवरी 1990 में नेल्सन मंडेला को दक्षिण अफ़्रीका की सरकार ने जेल से रिहा कर दिया.

वर्ष 1994 में दक्षिण अफ्रीका के पहले काले राष्ट्रपति का पद संभालते हुए उन्होंने कई अन्य संघर्षों में भी शांति बहाल करवाने में अग्रणी भूमिका निभाई.

वर्ष 1918 में जन्मे नेल्सन मंडेला को वर्ष 1993 में एफ़ डब्ल्यू डी क्लार्क के साथ संयुक्त रूप से नोबेल शांति पुरस्कार और वर्ष 1990 में भारत रत्न दिया गया था.

पिछले साल पांच दिसंबर को 95 वर्ष की आयु में उनकी मृत्यु हुई. उन्हें उनके पैतृक गांव कुनु में दफ़नाया गया.

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