धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र बना रहे

जानकारी के मुताबिक नेपाल को हिंदू राष्ट्र घोषित करने की मांग सिरे से खारिज हो गई। नेपाल की संविधान सभा में इस नए संविधान के अनुच्छेदों को लेकर मतदान कराया गया। जिससे इस दौरान मतदान के आकंडे काफी चौकाने वाले आए हैं। 601 सदस्यीय संविधान सभा में सिर्फ 21 मत मिले है। जबकि मत विभाजन के लिए 61 सदस्यों के समर्थन की जरूरत होती है। ऐसे में साफ है कि यहां पर दो-तिहाई सदस्यों ने नेपाल को हिंदू राष्ट्र घोषित करने के प्रस्ताव वाले संशोधन को ठुकरा दिया। इतना ही नहीं इस सदस्यों ने इस बात पर भी जोर दिया कि नेपाल को किसी एक धर्म के नाम पर न बांधा जाए और न देखा जाए। जिससे साफ है कि नेपाल धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र बना रहना चाहिए।

सुभाष चंद्र ने ठुकरा दिया

बताते चलें कि 2006 के जन आंदोलन की सफलता के बाद साल 2007 में धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र घोषित किए गए नेपाल को फिर से हिंदू राष्ट्रबनाने की मांग जोर पकड़ रही है। यहां पर हिंदू समर्थक समूह राष्ट्रीय प्रजातांत्रिक पार्टी नेपाल की ओर से यह प्रस्ताव पेश किया था। इस पार्टी की मांग है कि इसे 2006 के पहले जैसा ही हिंदू राष्ट्र घोषित होना चाहिए। इस पार्टी के इस प्रस्ताव को संविधान सभा के अध्यक्ष सुभाष चंद्र ने ठुकरा दिया था। जिसके बाद कमल थापा ने मत विभाजन की मांग की थी। उनका कहना था कि मतदान के जरिए ही अब यह स्िथतियां साफ होंगी। जिससे मतदान कराया गया। जहां पर इस हिंदू राष्ट्र घोषित करने वाले प्रस्ताव पर 10 फीसदी भी वोट नहीं मिले हैं।

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