- अब एसजीपीजीआई में उपलब्ध है सुविधा

- पीजीआई में न्यूरोइंडोस्कोपी पर वर्कशाप

LUCKNOW: ब्रेन में सात प्रकार के ट्यूमर्स के लिए अब खोपड़ी नहीं खोलनी पड़ेगी। इंडोस्कोपिक न्यूरो सर्जरी के जरिए ही न्यूरो सर्जन इन्हें बाहर कर देंगे। शनिवार को इस तकनीक से एक 45 वर्ष की महिला और एक 35 वर्ष के पुरूष मरीज के ट्यूमर निकाले गए। संजय गांधी पीजीआई के न्यूरोसर्जरी विभाग की ओर से आयोजित न्यूरोइंडोस्कोपिक वर्कशाप में विभाग के एचओडी प्रो। राजकुमार और प्रो। कुंतल कांति व अन्य ने इस तकनीक का प्रदर्शन किया।

मरीज की जल्दी होगी रिकवरी

विभाग के प्रो। राजकुमार, प्रो। संजय बिहारी, प्रो। अवधेश जायसवाल, प्रो। अनंत मेहरोत्रा व डॉ। अमित केसरी ने बताया कि पहले स्कल बेस के ट्यूमर को निकालने के लिए पूरी खोपड़ी खोलनी पड़ती थी। लेकिन अब इस नई तकनीक से नाक के जरिए दिमाग के निचले हिस्से में पहुंच तक ट्यूमर को निकाला जा सकता है। इससे मरीज की रिकवरी भी जल्दी होती है। शनिवार को इंट्रावेंट्रीकुलर ट्यूमर को बिना खोपड़ी खोले केवल एक छेद कर ट्यूमर तक पतला पाइप लगाकर ट्यूमर तक इंडोस्कोप को पहुंचा कर ट्यूमर निकाला गया।

80 परसेंट तक बढ़ी सफलता दर

एम्स दिल्ली के प्रो। बीएस शर्मा, जापान के प्रो। टी नागाटानी, प्रो वानाबी ने सर्जरी की बारीकियां बताते हुए कहा कि पिट्यूटरी ग्लैंड के ट्यूमर की सर्जरी की सफलता दर इस तकनीक से 80 परसेंट तक बढ़ी है। पहले इसको माइक्त्रोस्कोप से देख कर निकाला जाता था जिसमें जहां लाइट पड़ती थी वही हिस्सा निकल पाता था लेकिन इंडोस्कोप से ट्यूमर के नीचे पहुंच कर पूरे ट्यूमर को निकाला जाता है इससे दोबारा ट्यूमर होने की आशंका भी कम हो जाती है।

चश्मे के बाद भी रोशनी कम हो ते ले सलाह

डॉक्टर्स ने बताया कि पिट्यूटरी ग्लैंड का ट्यूमर आंख को रोशनी के लिए जिम्मेदार ऑप्टिक नर्व पर दबाव बनाता है और रोशनी चश्मा लगने के बावजूद कम होती जाती है। ऐसा होने पर स्पेशलिस्ट डॉक्टर से तुरंत सलाह लें। पीलिया ए थकान ए सिर दर्दए अनियमित मासिक चक्त्र की परेशानी है तो विशेषज्ञ से लाह लेना चाहिए। कुल दिमागी ट्यूमर का आठ फीसदी ट्यूमर पिट्यूटरी ग्लैंड का होता है।