bcci के सबसे युवा अध्‍यक्ष के बारे में जाने कुछ खास बातें..

हिमाचल के पूर्व मुख्यमंत्री के बेटे हैं अनुराग ठाकुर

शशांक मनोहर द्वारा इस्तीफा देकर आईसीसी जाने के बाद बीसीसीआई का पद खाली था। पद खाली होने के चलते एसजीएम की बैठक में अनुराग ठाकुर को बीसीसीआई का निर्विरोध अध्यक्ष चुना गया। 41 वर्षीय अनुराग ठाकुर का जन्म 24 अक्टुबर 1974 को हिमाचल प्रदेश के हमीरपुर जिला में हुआ।उन्होने स्कूली शिक्षा जलंधर के दयानंद मॉडल स्कूल से हांसिल की। जलंधर के ही दोआबा महाविद्यालय से अनुराग ने बीए की पढाई की है। वे हिमाचल के पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धुमल के बेटे हैं।

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हिमाचल क्रिकेट संघ के अध्यक्ष रह चुके हैं अनुराग

साल 2000  में 25 साल की उम्र में ही पिता प्रेम कुमार धुमल की छत्र छाया में हिमाचल क्रिकेट संघ के अध्यक्ष चुन लिए गए। लेकिन उन्हें बीसीसीआई में कोई बड़ा पद चाहिए था। उन्हें हर हाल में प्रथम श्रेणी क्रिकेट भी खेलना था। बीसीसीआई ने सुप्रीम कोर्ट में मार्च महिने में एक हलफनामा दाखिल किया। जिसके हिसाब से अनुराग ठाकुर, दिलीप वेंगसरकर, शिवलाल यादव और ब्रजेश पटेल जैसे बड़े क्रिकेट खिलाड़ी अब बीसीसीआई भारतीय क्रिकेट को संवारने का काम कर रहे हैं।

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जम्मू-कश्मीर के खिलाफ एक मैच भी खेल चुके हैं ठाकुर

हिमाचल क्रिकेट संघ के अध्यक्ष बनने के कुछ समय बाद वह एक दिन मैदान पहुंचे और ऐलान कर दिया कि वह जम्मू-कश्मीर के साथ होने वाले मैच में न केवल टीम में खेलेंगे बल्कि वह उस टीम की कप्तानी भी करेंगे। वह अध्यक्ष थे इसलिये जो आर्ग्यूमेंट करता वह मरता। अनुराग ठाकुर की बात को किसी ने नहीं नकारा। जम्मू-कश्मीर के खिलाफ उस मैच बल्लेबाजी करते हुए उन्होंने सात गेंदो का सामना किया लेकिन बिना खाता खोले ही आउट हो गए।

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भारतीय जनता युवा मोर्चा के अध्यक्ष रह चुके हैं अनुराग

गेंदबाजी में अनुराग ठाकुर ने दो बल्लेबाजों को जरूर आउट किया। इसके अलावा अनुराग ठाकुर 2009 के उपचुनाव और 2014 के आम चुनाव में हमीरपुर से सांसद चुने गए। वे भारतीय जनता पार्टी के अध्यभ नितिन गडकरी द्वार अखिल भारतीय जनता युवा मोर्चा के अध्यक्ष चुने गए। हिमाचल प्रदेश में क्रिकेट बैकफुट पर आ चुका था। लेकिन यहां अनुराग ठाकुर का बीसीसीआई में सफर शुरू हो गया।

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राजनैतिक रसूख ने दिलाई बीसीसीआई की कुर्सी

दिलीप वेंगसरकर ने 100 से ज़्यादा टेस्ट मैच खेले हैं और अनुराग ठाकुर ने सिर्फ एक फर्स्ट क्लास मैच। वो भी सीधे कप्तान बनकर। वह प्रथम श्रेणी के खिलाड़ी बन चुके थे और इसीलिए वह पहले जूनियर क्रिकेट में चयनकर्ता बने और अपने राजनैतिक रसूख के चलते बीसीसीआई के अध्यक्ष बने।

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