जिनेवा (एएनआई)। देश में कोरोना के नए मामलों में लगातार वृद्धी हो रही है। इसी बीच विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के डॉयरेक्टर टेड्रोस एडनॉम घेब्रियस ने बुधवार को एक प्रेस कान्फ्रेंस के दौरान कहा कि पिछले दो हफ्तों में दुनिया भर के नए कोविड केसों में लगभग 30 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। यूरोप में बीए.4 और अमेरिका में बीए.5 वेरिएंट से लोग ग्रसित हो रहे हैं। वहीं भारत में बीए 2.75 नाम के एक सब- वेरिएंट का पता चला है, जिसका हम फॉलो कर रहे हैं।

पिछले 24 घंटे में भारत में आए 16 हजार से ज्यादा केस

स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के अनुसार बुधवार को भारत ने पिछले 24 घंटों में 16,159 नए कोविड मामले दर्ज किए। देश में महामारी की शुरुआत के बाद से ठीक होने वालों की कुल संख्या 4,29,07,327 हो गई है, इस अवधि के दौरान 15,394 कोविड रोगी बीमारी से ठीक हुए हैं। अभी रिकवरी रेट 98.53 फीसदी है। कल ब्रीफिंग के दौरान विश्व स्वास्थ्य संगठन की मुख्य वैज्ञानिक सौम्या स्वामीनाथन ने कहा कि एक सब- वेरिएंट मिला है, जिसे बीए.2.75 कहा जा रहा है। सौम्या ने आगे कहा कि पहले यह वेरिएंट भारत में मिला इसके बाद लगभग 10 और देशों से भी मिलने की जानकारी मिली।

वेरिएंट के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं

डब्ल्यूएचओ के मुख्य वैज्ञानिक ने कहा कि अभी इस सब वेरिएंट पर ज्यादा जानकारी प्राप्त नहीं हैं। हमें इसके बारे में शोध करने के लिए समय की आवश्यकता है। इस वेरिएंट में एक महत्वपूर्ण हिस्सा है जो स्वयं को इंसानो के रिसेप्टर से जोड़ता है। इसलिए हमें इसके बारे में अभी देखना होगा। यह जानना अभी भी जल्दबाजी होगी कि क्या इस सब- वेरिएंट में इम्यूनिटी को भेदने की क्षमता है या नहीं। हमें इंतजार करना होगा और देखना होगा। मुख्य वैज्ञानिक ने आगे कहा कि विश्व स्वास्थ्य निकाय इसे ट्रैक कर रहा है और सार्स-कोव-2 वायरस इवोल्यूशन (टैग-वी) पर इसका तकनीकी सलाहकार समूह लगातार दुनिया भर के डेटा को देख रहा है।

हम अब भी महामारी के बीच में हैं

डब्ल्यूएचओ के इंसीडेंट मैनेजर आब्दी महमूद ने कहा कि अब यह घोषित करने का समय नहीं है कि महामारी खत्म हो गई है। हम अभी भी महामारी के बीच में हैं और वायरस में बहुत ताकत बाकी है। इसलिए चाहे वह बीए.4 हो या बीए.5 या बीए.2.75, वायरस हमें बचाव करना रहेगा। उन्होंने यह भी कहा कि लोगों और समुदायों को मास्क पहनना जारी रखना चाहिए, भीड़ से बचना चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि सबसे कमजोर और उच्च जोखिम वाली आबादी सुरक्षित रहे।

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