अनोखी आकृतियां भी मौजूद हैं

मैती आंदोलन के अग्रणी कल्याण सिंह रावत के अनुसार चमोली जिले में बगौली मोटर मार्ग पर चांदपुर के मध्य भाग में घटगाड़ नाम की नदी बहती है। यह नदी भेलतीर स्थान पर 150 मीटर नीचे गिरकर कठोर चट्टानों के बीच खास नजारा बनाती है। इसी घाटी के दक्षिण भाग के शीर्ष में भेलतीर उडियार क्र(रॉक शैल्टरक्र) स्थित है। कल्याण सिंह रावत का कहना है कि वे 12 जनवरी को वे यहां पहुंचे। स्थानीय लोगों की हेल्प से इस उडियार को करीब से देखा तो वहां चौंकाने वाले रहस्य मिले। उडियार की दीवारों पर वर्षों पुराने मानव काल के द्वारा चित्रित आकृतियां पाई गई, जिसमें न केवल लाल कलर का प्रयोग किया गया है, बल्कि यह गुफा अल्मोड़ा जिले के पिथौरागढ़ मार्ग पर लक्खु उडियार में मौजूद चित्रित रेखा कृतियों से मेल खाती है।

प्रागैतिहासिक काल की है गुफा

 कल्याण सिंह का दावा है कि यहां 100 से अधिक लोग ठहर सकते हैं। यहां मौजूद कलाकृतियों से साबित होता है कि प्रागैतिहासिक काल में यहां लोग रहते होंगे। पर्यटन व ऐतिहासिक दृष्टि से इस गुफा को डेवलप करने पर जोर दिया गया है। हालांकि इसकी जानकारी गढ़वाल युनिवर्सिटी को भी दी है, जिस पर युनिवर्सिटी ने अपनी टीम भेजने की बात कही है। राजधानी स्थित एएसआई कार्यालय को भी उन्होंने इस बावत जानकारी दी, जिसमें एएसआई ने भी टीम भेजने का भरोसा दिया है। एएसआई का कहना है कि वैसी गुफा अब तक उनके प्रोजेक्ट में शामिल नहीं हुई हैं। अब तक गढ़वाल के चमोली में मौजूद किमनी व गोरख्या गुफाएं ही बड़ी गुफाओं के रूप में पहचानी जाती है, जबकि कुमाऊं में लक्खू उडियार बड़ी गुफा है। ऐसे में इस नई गुफा के प्रकाश में आने से अब असेसमेंट के बाद ही पता चलेगा की यह कितनी बड़ी है।