Lucknow: नगर निगम में मेयर और कारपोरेटर चुने जा चुके हैं। चुनौती बड़ी भी हैं और गंभीर भी। इनसे निपटना आसान नहीं है। नगर निगम के नए मेहमानों को चुने जाते ही समस्याएं इनके सामने हैं। अब यह समस्याएं कैसे निपटेंगी, यह अहम इश्यू है। मेयर और सभासद के चुने जाने के दिन ही लखनऊ में जलभराव की समस्या ने पूरे शहर को हैरान कर दिया।

जानकीपुरम में तो दो दिन तक जलभराव की समस्या बनी रही। नोडल अधिकारी को सस्पेंड भी कर दिया गया, लेकिन यह समस्या ऐसे सुलझने वाली नहीं। इसके लिए गंभीर प्रयासों की जरूरत है।

नए नगर निगम का गठन हो चुका है। लेकिन समस्याओं का अंबार है। एक दिन की बारिश ने शहर की पोल खोल दी। केवल बारिश ही नहीं शहर में समस्याओं का ढेर है। रोड के चौड़ीकरण के नाम पर हरे-भरे पेड़ काटे जा रहे हैं। यह समय की जरूरत भी है। लेकिन इसके लिए कोई ठोस पहल होनी चाहिए। जरूरत इस बात की है कि जो पेड़ काटे जा रहे हैं उनके स्थान पर दूसरे पौधे रोपे जाएं। लेकिन ऐसा होता नहीं है। यही वजह है कि आज हाईवे पर कहीं भी हरियाली नहीं है।

वीआईपी ड्यूटी पर लगे हैं कर्मचारी

गर्मी में तो मुश्किलें और भी ज्यादा बढ़ जाती हैं। इसके लिए जरूरत इस बात की है कि ज्यादा से ज्यादा ग्रीन बेल्ट तैयार की जाए। नगर निगम की स्थिति दयनीय हो चुकी है। कोई यहां काम नहीं करना चाहता है। चारों तरफ कूड़े के ढेर लगे हैं। कहीं भी डंपिंग ग्राउंड नहीं है। गर्मी के दिनों में संक्रामक रोग फैलने का खतरा भी है।

इससे बचने के लिए यह जरूरी है कि कूड़े के निस्तारण की उचित व्यवस्था की जाए। अभी तक यह होता है कि रोड बनती है और इसके बाद प्रॉपर प्लानिंग न होने की वजह से पाइप लाइन डालने के लिए रोड खोद दी जाती है। सफाई व्यवस्था को लेकर शहर में बहुत प्रॉब्लम हैं। इस समय जरूरत है कि दो टाइम रोड और गलियों की सफाई कराई जाए। सबसे ज्यादा प्राब्लम यह है कि ज्यादातर सफाई कर्मी वीआईपी ड्यूटी और स्मारक में हैं।

पानी बचाने के लिए प्रयास नहीं

करीब 20 प्रतिशत पानी पाइप लाइन में लीकेज की वजह से बर्बाद होता है। इसकी रोकथाम के लिए उचित कदम उठाने की जरूरत है। रोगों से बचाव के लिए जनजागरण अभियान भी नहीं चलता है। ऐसा कोई साल नहीं है जब गर्मी में संक्रामक रोग न फैलता हो। जब यह रोग फैल जाता है। इसके बाद नगर निगम प्रशासन को होश आता है। उस समय सफाई भी शुरू हो जाती है और चूने का छिड़काव भी। आखिर इस महामारी का हम लोग इंतजार ही क्यों करते हैं? संक्रामक रोग पर कंट्रोल करने के लिए पहले से चिह्नित इलाकों की सफाई व्यवस्था दुरुस्त कराने की जरूरत है.  मलिन बस्ती और रोग प्रभावित क्षेत्रों में क्लोरीन की गोलियां कभी नहीं बंटती।

इंक्रोचमेंट है बड़ी समस्या

टे फल की बिक्री पर रोक का नियम है इसके बावजूद यह खुलेआम बिक रहे हैं। शहर में ट्रैफिक को लेकर बहुत प्रॉब्लम है। जिस तरह से पॉपुलेशन बढ़ती जा रही है, ट्रैफिक को कंट्रेाल करना मुश्किल हो रहा है। वाहनों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। रोड पर इन्क्रोचमेंट है। ऐसे में यह जरूरी है कि ज्यादा से ज्यादा फ्लाईओवर बनाए जाएं। कूड़े से बिजली बनाने का प्रोजेक्ट चालू किया गया था, लेकिन यह अभी तक शुरू नहीं हो सका है। इसके अलावा स्ट्रीट लाइट शहर में ज्यादातर जगहों पर बुझी हैं। नगर निगम का स्टोर खाली है। केवल इतना ही नहीं छुट्टा जानवरों ने भी लोगों का जीना मुश्किल कर दिया है।

बिजली की आवाजाही से सब परेशान

गर्मी में सबसे ज्यादा परेशानी बिजली की आवाजाही को लेकर रहती है। इसकी सबसे बड़ी वजह यह है कि लोग कटिया लगाकर बिजली चोरी कर रहे हैं। यदि सभी तार अंडरग्राउंड कर दिए जाएं तो इससे बचा जा सकता है। इसके अलावा बिजली का लोड भी चेक करने की जरूरत है। लोग बिजली का लोड कम करके बिल जमा कर रहे हैं। इसकी वजह से लेसा को राजस्व का नुकसान हो रहा है।