व‌र्ल्ड सीजोफ्रेनिया डे स्पेशल

PRAYAGARJ: शक, भूत प्रेत का चक्कर जैसे कई अजीबो-गरीब लक्षणों वाली बीमारी है सीजोफ्रेनिया. डॉक्टर्स के मुताबिक यह मानसिक रोग है. इससे ग्रसित मरीज अपनी हरकतों से पहचाना जाने लगता है.

हावी हुआ तनाव तो मिलेगा रोग

सीजोफ्रेनिया एक मेंटल डिसऑर्डर है. इसमें मस्तिष्क में डोपामिन केमिकल का स्त्राव अधिक होने लगता है. मेन रीजन तनाव का अधिक होना है. यह आनुवांशिक बीमारी भी है. यह पीढ़ी दर पीढ़ी आगे बढ़ती है. इसमें रोगी दूसरों से अलग-थलग रहता है. उसे लगता है कि बाकी लोग उसके खिलाफ षड्यंत्र रच रहे हैं. इसी शक में अजीबो-गरीब हरकतें करने लगता है.

ऐसे होगा रोग से बचाव

-मरीज को अलग रहने के बजाय परिवार के बीच रखना जरूरी होता है.

-ऐसे मरीजों को अकेलापन नहीं, सामाजिक अपनेपन की जरूरत होती है.

-साइकोलॉजिकल तौर पर मरीजों को काउंसिलिंग की जाती है.

-लंबे समय तक दवाएं चलती हैं लेकिन इनसे मरीज सामान्य रहने लगता है.

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बांटे गए दिव्यांगता प्रमाणपत्र

विश्व सीजोफ्रेनिया दिवस के अवसर पर काल्विन हॉस्पिटल में राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत मानसिक स्वास्थ्य व मानसिक दिव्यांगता शिविर का आयोजन किया गया. इसमें कुल 16 मनोरोगियों को दिव्यांगता प्रमाण पत्र दिया गया. इस मौके पर डॉ. राकेश पासवान, डॉ. इशान्या राज, जयशंकर पटेल, संजय तिवारी आदि ने रोगियों को परपल कलर के रिबन बांधे. मुख्य अतिथि डॉ. वीके सिंह, डॉॅ वीके मिश्रा और डॉ. शक्ति बसु ने मरीजों के बीच जागरुकता फैलाने के बारे में अपने विचार रखे.

मशहूर एक्ट्रेस परवीन बाबी सीजोफ्रेनिया बीमारी से ग्रसित थीं. अक्सर मरीज शिकायत करते हैं उन्हें कुछ लोग दिख रहे हैं या आवाजें सुनाई पड़ती हैं. इसे हॉलुसिनेशन कहा जाता है. ऐसे मरीजों का इलाज समय पर शुरू करा देने से उनका जीवन बर्बाद होने से बच जाता है.

-डॉ. राकेश पासवान, मनोचिकित्सक, काल्विन हॉस्पिटल

सीजोफ्रेनिया की कोई उम्र नहीं है. किसी भी एज ग्रुप का व्यक्ति इसकी चपेट में आ सकता है. अक्सर लोग इस बीमारी को भूत-प्रेत का चक्कर कहकर टाल देते हैं. लेकिन ऐसा नहीं है. ऐसे मरीजों के प्रति समाज में जागरुकता फैलाने की जरूरत है.

-डॉ. वीके मिश्रा, नोडल, एनसीडी सेल