जल शक्ति अभियान के अंतर्गत सामुदायिक संगठनों ने की परिचर्चा

PRAYAGRAJ: प्रयागराज के जल का पूरी दुनिया में धार्मिक महत्व है। इस शहर ने धर्म संस्कृति और शिक्षा सहित सहित सभी क्षेत्रों में दुनिया को काफी कुछ दिया है। ऐसे में यहां के जल को बचाना बहुत जरूरी है। यह बात भारत सरकार के संयुक्त सचिव और जलशक्ति अभियान के केंद्रीय नोडल अधिकारी विश्वजीत बनर्जी ने कही। वह भारत सरकार के जल शक्ति मंत्रालय की ओर से सर्किट हाउस में आयोजित जलशक्ति अभियान में सामुदायिक संगठनों की भूमिका विषयक परिचर्चा को संबोधित कर रहे थे।

रोकना है तेजी से गिरते जल स्तर को

संयुक्त सचिव ने कहा कि देश के 1500 ऐसे विकास खंडों में भारत सरकार की ओर से विशेष अभियान चलाया जा रहा है जिनमें तेजी से भूगर्भ जल का स्तर नीचे गिर रहा है। कहा कि पानी को बचाने का सबसे बेहतर तरीका है पानी की मांग को सीमित करना। ग्राउंड वाटर को रिचार्ज करना। चेन्नई और बेंगलुरु के तर्ज पर प्रयागराज में भी अभियान चलाया जाएगा। 1950 में प्रति व्यक्ति 5000 क्यूबिक मीटर पानी उपलब्धता थी जो आज सिर्फ 1000 क्यूबिक मीटर तक पहुंच गया है।

इन्होंने रखे अपने विचार

सिविल डिफेंस के चीफ वार्डन अनिल कुमार ने कहा कि जल के बिना प्रकृति का अस्तित्व समाप्त हो जाएगा। उन्होंने कहा कि अंधाधुंध विकास की अवधारणा ने प्रकृति को सबसे अधिक नुकसान पहुंचाया है। एनएसएस की डायरेक्टर डा मंजू सिंह ने कहा कि तकनीकी विकास से प्राकृतिक संसाधनों का सर्वाधिक नुकसान हुआ है। ऑल इंडिया वूमेंस काउंसिल के अध्यक्ष डॉ अंजना गुलाटी ने कहा कि दिनचर्या में सुधार कर और बच्चों में संस्कार पैदा कर पानी की बर्बादी को रोका जा सकता है। केंद्रीय भूगर्भ जल बोर्ड के वैज्ञानिक डा। आरके प्रसाद ने कहा कि मानसून का समय लगातार घटता चला जा रहा है और वर्षा का घनत्व बढ़ रहा है। जिससे बारिश के पानी को संरक्षित करना मुश्किल है।