-हर दूसरे-तीसरे साल बघाड़ा के ढरहरिया इलाके में आता है गंगा का पानी

PRAYAGRAJ: शहर के बघाड़ा के ढरहरिया एरिया में रहने वाले लोगों को बाढ़ के साथ जीने की आदत है। उन्हें पता है कि हर दूसरे या तीसरे साल गंगा का पानी उनके मोहल्ले में आयेगा। नदी का पानी डेंजर लेवल भले न पहुंचे लेकिन सैकड़ों घर पानी में डूब जाएंगे। यही कारण है कि स्थानीय लोग हर साल अगस्त और सितंबर में बाढ़ को झेलने को तैयार रहते हैं। इस साल भी यही हालात हैं।

सेकंड फ्लोर में शिफ्ट हो जाती है गृहस्थी

ढरहरिया के रहने वाले प्रदीप चौबे की किराने की दुकान है। वह बताते हैं कि जुलाई से ही बाढ़ का खतरा सिर पर मंडराने लगता है। शहर में बारिश कम हो या ज्यादा। हमें होशियार रहना पड़ता है। कछार से लगा होने के कारण इस एरिया में गंगा के 83 मीटर लेवल पर पहुंचते ही पानी घरों में घुस जाता है। यही कारण है कि लोग बारिश शुरू होते ही घर की गृहस्थी को पहले और दूसरे मंजिल पर शिफ्ट कर देते हैं। अगर बाढ आई तो खुद भी ऊपर की मंजिल पर रहते हैं।

नाव का रहता है इंतजाम

इसी एरिया के श्रीकांत कहते हैं कि अधिकतर लोग बाढ़ की आशंका को देखकर नाव के इंतजाम में जुट जाते हैं। इसके लिए नाविकों से बातचीत कर ली जाती है। चोरी के डर से बहुत से लोग अपना घर नहीं छोड़ते। इसलिए आवागमन के लिए वह नाव का उपयोग करते हैं। इसके एवज में नाविक मोटा किराया वसूलते हैं। प्रशासन की ओर से चलाई जाने वाली नाव आसानी से उपलब्ध नही हो पाती। उस पर दबंगों का कब्जा हो जाता है।

ठप हो जाती है पढ़ाई

यहां एक बड़ी संख्या यूनिवर्सिटी के छात्रों की है। जो रेन्ट पर रहते हैं। कुछ प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे हैं। यह पिछले कई सालों से ढरहरिया में रह रहे हैं। वह कहते हैं कि बाढ़ के सीजन में जब तक पानी मोहल्ले में रहता है, हमारी पढ़ाई चौपट हो जाती है। कई छात्रों ने बताया कि रात में पानी घर में घुसने पर हजारों की किताबें खराब हो जाती हैं। उन्हे सामान लेकर दोस्तों के कमरों में शरण लेनी पड़ती है।

बाक्स

पीछे का पानी नही आए तो बेहतर

गंगा के घटते जलस्तर ने आखिरकार लोगों को राहत प्रदान की। मंगलवार को रात दस बजे से लेकर बुधवार की दोपहर चार बजे तक गंगा में 17 और यमुना में 19 सेमी की कमी दर्ज की गई। यह क्रम देर रात तक भी जारी था। बाढ़ खंड इकाई के ईई ब्रजेश कुमार का कहना है कि जब तक बांधों से छोड़ा गया पानी प्रयागराज तक नही पहुंचता घटने का ट्रेंड जारी रहेगा। खबर लिखे जाने तक गंगा का जलस्तर 82.79 मीटर और यमुना का जलस्तर 82.62 मीटर था। जबकि खतरे का निशान 84.73 मीटर निर्धारित किया गया है।

वर्जन

इस बार भी पानी हमारे घर के पास आ चुका है। अब फिर से जलस्तर बढ़ा तो बाढ़ का पानी हमारे कमरों में आ जाएगा। 2016 में एक सप्ताह तक पानी घर में भरा था और इससे काफी नुकसान हुआ था।

रोहित यादव

हर साल बारिश शुरू होते ही दिल की धड़कने बढ़ जाती हैं। लगता है कि पानी कहीं घर में न घुस जाए। हमलोग अधिकतर सामान घर पर छोड़ आते हैं। कई बार तो रात में ही पानी घरों के अंदर प्रवेश कर जाता है और पता नही चलता।

विकास यादव

सबसे ज्यादा दिक्कत तब होती है जब बाढ़ में घर में आदमी फंस जाए। जलस्तर बढ़ने के बाद डूबने का खतरा बना रहता है। स्टूडेंट अक्सर बारिश के मौसम में रेडीमेड खानपान के आइटम अपने साथ रखते हैं।

सचिन सिंह

2016 में बाढृ आई थी तब हम अपने घर चले गए थे। लौटकर आए तो पता चला कि 20 हजार रुपए की किताबें पानी में खराब हो गई। उम्मीद नहीं थी कि पानी का लेवल हमारे कमरे की ऊंची आलमारी तक पहुंच जाएगा।

नीरज यादव