-कॉल्विन हॉस्पिटल के मनकक्ष क्लीनिक के आंकड़े दे रहे चेतावनी

-पिछले एक साल में आए कुल 300 मरीजों में 30 फीसदी महिलाएं

PRAYAGRAJ: प्रयागराज की महिलाओं में डिप्रेशन तेजी से हावी हो रहा है। कॉल्विन हॉस्पिटल में बने मनकक्ष के आंकड़े यही बयां कर रहे हैं। पिछले एक साल में आए कुल पेशेंट्स में 30 फीसदी महिला पेशेंट्स हैं। पति और प्रेमी के साथ आपसी तालमेल में बिगाड़ होना डिप्रेशन का सबसे अहम कारण बना है। दूसरे नंबर पर करियर और जॉब को लेकर तनाव है। हालांकि काउंसिलिंग और इलाज के जरिए महिलाओं के जीवन को पटरी पर लाने का काम मनोचिकित्सक रहे हैं।

एक साल में आए तीन सौ मरीज

कॉल्विन हॉस्पिटल में 2017 से मानसिक रोग स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत मरीजों का इलाज किया जा रहा है। इनमें डिप्रेशन के रोगी भी शामिल हैं। पिछले एक साल में डिप्रेशन के तीन सौ पेशेंट्स आए हैं। कुल डिप्रेशन के पेशेंट्स में तीस फीसदी महिलाएं हैं। साल दर साल यह आंकड़ा बढ़ रहा है। इसका मुख्य कारण महिलाओं का अपने पार्टनर के साथ तालमेल बिगड़ना है। शादीशुदा महिलाओं में पति का एक्स्ट्रा-मेरिटल अफेयर इसका मेन रीजन है। युवतियों में प्रेम संबंधों का टूट जाना बड़ा सिरदर्द बना हुआ है।

हर साल दस फीसदी बढ़ रहे मामले

कुछ मामले ऐसे भी हैं जिनमें करियर और पढ़ाई को लेकर भी मानसिक तनाव की स्थिति पैदा हुई है। ऐसी महिलाओं को उनकी इच्छा के विरुद्ध करियर नहीं बनाने को प्रेरित किया गया या उनको जॉब में उचित सपोर्ट नहीं मिल पाया। 2017 से खुले मानसिक स्वास्थ्य केंद्र में हर साल दस फीसदी महिला मरीजों की संख्या बढ़ रही है। यह चिंता का विषय है। परिजनों को महिलाओं के डिप्रेशन में जाने का अहसास तब हुआ जब लक्षण सामने आने लगे। इसके बाद उनको डॉक्टर से संपर्क करना पड़ा।

इस एज ग्रुप पर रखिए नजर

आने वाली महिलाओं का एज ग्रुप 20 से 35 साल के बीच का है। कुछ महिलाएं इससे अधिक एज ग्रुप की हैं। डॉक्टर्स का कहना है कि डिप्रेशन के चलते महिलाओं का जीवन संकट में जरूर फंसा है। लेकिन इसका बहुत अधिक घातक असर देखने को कम मिला है जो थोड़ा राहत देने वाला है। नैदानिक मनोवैज्ञानिक डॉ। इशान्या राज कहती हैं कि महज पांच फीसदी केसेज ही सुसाइडल रहे। उनको काउंसिलिंग कर पटरी पर लाने की कोशिश की गई। कुछ मामलों में दवाएं दी जा रही हैं।

महिलाओं ने बताए डिप्रेशन के कारण

-बाहरी महिलाओं से अधिक बातचीत में मशगूल रहना।

-आपस में अचानक बोलचाल का बंद हो जाना।

-पार्टनर का दिन रात मोबाइल फोन पर व्यस्त रहना।

-बात-बात पर झूठ बोलना। कटने की कोशिश करना।

-घर से अधिक ऑफिस में समय बिताना।

-पत्नी की इच्छाओं और जरूरतों पर ध्यान नहीं देना।

-कामकाजी महिलाओं को जॉब सैटिस्फैक्शन नहीं होना।

-ससुराल पक्ष में होने वाले झगड़े में पति का साथ नहीं देना।

-ऑफिस में महिलाओं के साथ साथियों का व्यवहार खराब होना।

डिप्रेशन के लक्षण

-नींद और भूख का कम या ज्यादा होना, किसी काम में मन नहीं लगना

-मन अमूमन उदास या चिड़चिड़ाहट भरा होना

-जिन कामों में रुचि थी, उनमें भी मन न लगना

-आत्मविश्वास में कमी हो जाना, नकारात्मकता का लगातार बढ़ना

-आत्महत्या या खुद को नुकसान पहुंचाने का ख्याल आना

वर्जन

डिप्रेशन में महिलाओं का आना चिंता का विषय है। खासकर शादीशुदा महिलाओं के वैवाहिक जीवन में आने वाली खटास इसका सबसे बड़ा कारण है। युवतियों का करियर से भटककर प्रेस प्रसंग की ओर जाना और फिर दूरियां बढ़ने पर अवसाद का शिकार होना। ऐसे कारणों के चलते डिप्रेशन के लक्षण पनपने लगते हैं जिसका बचना होगा।

-डॉ। राकेश पासवान, मनोचिकित्सक, मानसिक स्वास्थ्य केंद्र, काल्विन हॉस्पिटल

लोगों का जागरुक होना जरूरी है। अक्सर आसपास के लोगों के लक्षणों के बारे में जानकारी नहीं होने पर उनका समय पर इलाज नहीं हो पाता। इसलिए जरूरी है कि ऐसे मरीजों को तत्काल हॉस्पिटल पहुंचाया जाए। उनके साथ अपनेपन का व्यवहार करना चहिए जिससे वह अवसाद से बाहर आ सकें।

-डॉ। वीके मिश्रा, नोडल अधिकारी, एनसीडी सेल