-लाइसेंस लेने के लिए हॉस्पिटल्स को पाल्यूशन कंट्रोल बोर्ड का प्रमाण पत्र देना जरूरी

-शुरू हो गई ईटीपी और एसटीपी बनवाने की कवायद

PRAYAGRAJ: हॉस्पिटल्स को लाइसेंस बनवाने के लिए अब पाल्यूशन कंट्रोल बोर्ड का प्रमाण पत्र भी देना होगा। ऐसा नही करने पर उनका लाइसेंस रिन्यूवल होना या नया लाइसेंस बनवाना मुश्किल हो जाएगा। हाल ही में पाल्यूशन कंट्रोल बोर्ड के प्रमाण पत्र को जरूरी कर दिया गया है। जिससे हॉस्पिटल्स में खलबली मच गई है। इसके लिए उन्होंने मेडिकल वेस्ट मैनेजमेंट को भी फालो करना मेंडेटरी हो चला है।

जिले में 456 हॉस्पिटल्स

प्रयागराज में इस समय 456 हॉस्पिटल्स हैं। इनमें कुछ पचास से अधिक बेड के भी हैं। इनको स्वास्थ्य विभाग से लाइसेंस बनवाने के लिए अभी तक मेडिकल वेस्ट मैनेजमेंट संबंधी प्रमाण पत्र ही देना होता था। इसके लिए शहर में दो एजेंसियां नामित हैं जो हॉस्पिटल्स का वेस्ट एकत्र कर उसका निस्तारण करती हैं। इनमें फेरो और संगम का प्लांट लगा हुआ है। इनमें इनरोल्ड होने के बाद इसका प्रमाण पत्र स्वास्थ्य विभाग जमा किया जाता है फिर लाइसेंस की प्रक्रिया पूरी होती है।

इसलिए जरूरी हुआ प्रॉसेस

नए नियमों के मुताबिक तीस बेड से अधिक अधिक निजी हॉस्पिटल्स को ईटीपी और एसटीपी बनाने जरूरी हैं। इन्हें इन्फ्लूएंट ट्रीटमेंट प्लांट और सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट कहा जाता है। यह दोनों प्रकिया तब लागू होगी जब हॉस्पिटल में कम से कम 20 स 30 बेड होंगे। इसके बाद हॉस्पिटल से निकलने वाले सीवेज का ट्रीटमेंट कैंपस के भीतर ही बने प्लांट में किया जाएगा। फिर से सीवर लाइन में डिस्चार्ज किया जाएगा। ताकि यह गंदा पानी शहर की आबो हवा को दूषित नही कर सके। ईटीपी और एसटीपी की अनिवार्यता को लेकर एनजीटी पहले ही अपना रुख दिखा चुका है।

लगा रहे बोर्ड के बाहर लाइन

अभी तक केवल मेडिकल वेस्ट मैनेजमेंट निस्तारण का प्रमाण पत्र के बदले आसानी से लाइसेंस बनवाने वाले हॉस्पिटल्स को अब दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है। लाइसेंस के लिए उन्हें पाल्यूशन कंट्रोल बोर्ड के बाहर लाइन लगानी पड़ रही है। यहां से मिलने वाले प्रमाण पत्र के एवज में ही उनको लाइसेंस थमाया जाएगा। अन्यथा की स्थिति में हॉस्पिटल में ताला भी लग सकता है। प्रमाण पत्र देने में पाल्यूशन कंट्रोल बोर्ड के भी अपने नियम कानून हैं। इस प्रक्रिया में समय भी लगना लाजिमी है।

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नहीं होगा विरोध का असर

जिस तरह से नियमो का पालन करवाया जा रहा है उसको देखते हुए डॉक्टरों का एसटीपी प्लांट का विरोध करना बेकार साबित हो सकता है। स्वास्थ्य विभाग का कहना है कि सरकार आम जनता के स्वास्थ्य को अधिक तरजीह दे रही है। यही कारण है कि हॉस्पिटल्स से निकलने वाले सीवेज को अंदर बनी एसटीपी में निस्तारित कराया जा रहा है। क्यों कि इस पानी में बलगम, खून, मांस, पट्टी सहित तमाम घातक पार्टिकल्स मिले होते हैं। इनमें पनपने वाले घातक वायरस और बैक्टीरिया आबादी के बीच पहुंचकर तमाम बीमारियां फैला सकते हैं। एक या दो को छोड़कर शहर के किसी हॉस्पिटल में अभी तक यह प्लांट नहीं लगाए गए हैं।

वर्जन

जिन लोगों ने पूर्व में कागज जमा करा दिए थे उनका लाइसेंस भी रोक दिया गया है। उनसे पाल्यूशन कंट्रोल बोर्ड का प्रमाण पत्र मांगा गया है। इसके जमा करने के बाद ही लाइसेंस सौंपा जाएगा।

पंकज पांडेय, एचईओ, स्वास्थ्य विभाग

31 दिसंबर तक का टाइम हॉस्पिटल्स को दिया गया है। इसके पहले उन्हें एसटीपी लगवाना होगा। इसी दिशा में पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड की भूमिका भी तय कर दी गई है। उनका प्राधिकार पत्र भी आवश्यक कर दिया गया है।

-डॉ। वीके मिश्रा, नोडल अधिकारी, एनसीडी सेल