-बाढ़ राहत केन्द्रों में महिलाओं के लिए हो रही है मुश्किल

PRAYAGRAJ: डेंजर मार्क को क्रॉस कर चुकी गंगा-यमुना का वाटर लेवल लगातार बढ़ता ही जा रहा है। इससे बड़ी संख्या में लोग प्रभावित हुए हैं। इन लोगों को बाढ़ राहत केन्द्रों पर रखा गया है। अलग-अलग जगहों पर बने नौ बाढ़ इन राहत केन्द्रों पर डिस्ट्रिक्ट एडमिनिस्ट्रेशन ने भरपूर सुविधाएं दी हैं। इसके बावजूद कुछ समस्याएं मौजूद हैं। दैनिक जागरण-आई नेक्स्ट ने बुधवार को कुछ बाढ़ राहत केन्द्रों का जायजा लिया।

ऋषिकुल फ्लड रिलीफ सेंटर पहुंचे नेवादा कछार के बाढ़ पीडि़तों ने प्रशासन की व्यवस्थाओं को पर्याप्त बताया। यहां मौजूद हरिलाल, रामकली आदि ने बताया कि सुबह भरपूर नाश्ता, दोपहर व रात में बढि़या भोजन की व्यवस्था है। थोड़ी दूर बैठी ऊषा चौरसिया ने बताया कि बच्चों के खाने-पीने के लिए भी पर्याप्त चीजें मिल रही हैं। हालांकि महिलाओं ने चेंजिंग रूम की समस्या बताई। शोभा, कुसुम समेत तमाम महिलाओं ने बताया कि कहती हैं सब ठीक हैं। लेकिन नहाने और कपड़े बदलने की जगह नहीं है। मजबूरन हमें खुले में नहाना और कपड़ा बदलना पड़ता है।

चेंजिंग रूम से हल होगी प्रॉब्लम

राधा देवी, अर्चना श्रीवास्तव ने कहा सुबह उजाला होने के पहले या दिन डूबने के बाद ही शाम को नहा सकते हैं। अगर सोचें हम दिन में नहा लें तो इतने लोगों के बीच खुले में नहा नहीं सकते। वहीं रंजना, बीना, नीलम मौर्या बताती हैं यहां कपड़े बदलने की कोई व्यवस्था नहीं है। हम लोग राजापुर के आगे हनुमान मंदिर के पास से नहाकर आ रहे हैं। कुंभ के दौरान शासन-प्रशासन हजारों-लाखों की संख्या में तीन महीने के लिए चेंजिंग रूम की व्यवस्था करा सकता है। ऐसे में कुछ दिन के लिए बाढ़ शिविर केन्द्र में यह इंतजाम क्यों नहीं हो सकता। डिस्ट्रिक्ट एडमिनिस्ट्रेशन को चाहिए कि हजारों की संख्या में बाढ़ राहत शिविर केन्द्र में पहुंच रहे बाढ़ पीडि़तों के लिए चेंजिंग रूम की भी व्यवस्था करें।