i reality check

-विकास भवन से लेकर कलेक्ट्रेट तक में हुई परेशानी

-कॉल्विन हॉस्पिटल में भी रहा सन्नाटा, स्कूल फिर हो गए बंद

PRAYAGRAJ: लगातार हो रही बारिश से लोगों का जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया है। शुक्रवार को सरकारी कार्यालयों और हॉस्पिटल्स की हालत भी पतली रही। विकास भवन और कलेक्ट्रेट में गिनती के कर्मचारी पहुंचे जरूर थे। लेकिन वह जलभराव से परेशान हो गए। बिल्डिंग की दूसरी और तीसरी मंजिल में छत टपकने से कर्मचारी नहीं बैठ सके। दिनभर होने वाली बरसात के चलते पब्लिक भी पहुंच नहीं सकी। दैनिक जागरण-आई नेक्स्ट रिपोर्टर ने जायजा लिया तो हालात कुछ इस तरह नजर आए।

स्पॉट 1: विकास भवन में भीग गई फाइलें

विकास भवन की दूसरी और तीसरी मंजिल मिलाकर एक दर्जन से अधिक महत्वपूर्ण कार्यालय हैं। खासकर तीसरी मंजिल में समाज कल्याण विभाग, पशुधन आदि विभागों के आधा दर्जन कमरों में पानी भरा रहा। यहां छत टपकने से कर्मचारियों को बैठने का ठिकाना नहीं मिला। इक्का-दुक्का लोग पहुंचे लेकिन उन्हें वापस लौटना पड़ा। छत से टपकते पानी से कई फाइलें भीग गई। करंट फैलने के डर से कुछ कमरों की बिजली भी कटवानी पड़ी। दूसरी मंजिल के हालात भी अच्छे नहीं रहे।

स्पॉट 2: काल्विन हॉस्पिटल में नहीं आए मरीज

बारिश में काल्विन हॉस्पिटल में जबरदस्त सन्नाटा पसरा रहा। ओपीडी लगभग खाली रहीं। यहां रोजाना 2500 से 3000 नए मरीज आते हैं। लेकिन शुक्रवार को इनकी संख्या एक हजार के आसपास रही। फिजीशियन, स्किन, आई, ईएनटी सहित तमाम ओपीडी में गिनती के मरीज पहुंचे। भर्ती मरीजों की संख्या भी रोज के मुकाबले आधे से कम ही रही। सीएमएस डॉ। वीके सिंह ने बताया कि वार्डो में जलभराव की समस्या नहीं आई। लेकिन अधिक बारिश के चलते मरीजों को दिक्कत हुई।

स्पॉट 3: कलेक्ट्रेट व तहसील में नहीं दिखी चहल-पहल

कलेक्ट्रेट में भी रोजाना की तरह चहल-पहल नहीं दिखी। कुछ कमरों में छत पर सीलन और पानी टपकने से कर्मचारी चाय की दुकान का चक्कर काटते रहे। सदर तहसील में भी सन्नाटा पसरा रहा। इसके चलते मुआवजा सहित आय-जाति प्रमाण पत्र के लिए आने वाले इक्का दुक्का लोग भी निराश होकर वापस लौट गए।

स्पॉट 4: स्कूल खुले, लेकिन नहीं पहुंचे बच्चे

बाढ़ के चलते लंबे समय से स्कूल बंद थे। शुक्रवार को यह खुले जरूर लेकिन स्टूडेंट्स नहीं पहुंचे। मार्निग में सोकर उठने के बाद परिजन झमाझम बारिश देखकर बच्चों को भेजने की हिम्मत नहीं कर सके। जिन स्कूलों में एग्जाम्स थे वहां बच्चों ने किसी तरह पहुंचकर हाजिरी लगाई।

बारिश के मौसम में बिल्डिंग में बैठना मुश्किल हो जाता है। दूसरी और तीसरी मंजिल में पानी भर जाने से यहां कर्मचारी परेशान हो जाते हैं।

-शैलेंद्र दुबे, कर्मचारी विकास भवन

पता नहीं था कि इतनी बारिश होगी। तीसरी मंजिल पर विभागों के महत्वपूर्ण रिकॉर्ड भीग गए। अब इनको सहेजने में काफी समय लग सकता है।

-कृपाशंकर सिंह, कर्मचारी विकास भवन

सीढि़यों पर फिसलन है। पानी भर गया तो ईट रखवा दी गई हैं। अगर पैर फिसला तो हाथ-पैर भी टूट सकते हैं। यहां आने वाले बुजुर्गो पर ध्यान देना पड़ता है।

-लालजी यादव, कर्मचारी विकास भवन

विकास भवन के ऊपरी मंजिलों की मरम्मत की जरूरत है। इसके लिए शासन को बजट जारी करना चाहिए। टपकती छतें सही संकेत नहीं दे रही हैं।

-कमलाकांत सोनकर, कर्मचारी विकास भवन