-पूरे नौ दिनों का होगा इस बार शारदीय नवरात्र

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PRAYAGRAJ: मां भगवती के पूजन के सबसे खास नौ दिनों में इस बार मां दुर्गा की विशेष कृपा होगी। वैसे तो भगवती का वाहन सिंह माना जाता है, लेकिन हर साल नवरात्रि के समय तिथि के अनुसार माता अलग-अलग वाहनों पर सवार होकर धरती पर आती हैं।

शास्त्रों में है वर्णन

शास्त्रों में एक श्लोक वर्णित है।

शशिसूर्ये गजारूढ़ा शनिभौमे तुरंगमे

गुरौ शुक्रे च दोलायां बुधे नौका प्रकीर्तितत:

इसके मुताबिक सोमवार व रविवार को कलश स्थापना होने पर मां दुर्गा हाथी पर आती हैं। शनिवार तथा मंगलवार को कलश स्थापना होने पर माता का वाहन घोड़ा होता है। गुरुवार अथवा शुक्रवार के दिन कलश स्थापना होने पर माता डोली पर चढ़कर आती हैं। बुधवार के दिन कलश स्थापना होने पर माता नाव पर सवार होकर आती हैं। शारदीय नवरात्र में कलश स्थापना 29 सितंबर यानी अश्विनी शुक्ल प्रतिपदा दिन रविवार को है। इस हिसाब से मातारानी हाथी पर सवार होकर आएंगी।

नवरात्र में बन रहा दुर्लभ संयोग

शारदीय नवरात्र में इस बार बहुत ही दुर्लभ संयोग बन रहा है। नवरात्रि के इन नौ दिनों में पांच सर्वार्थसिद्धि योग, छह रवियोग, दो अमृतसिद्धि योग, एक द्विपुष्कर योग तथा दो भद्रा (पाताललोक की) है। ऐसा माना जाता है इस तरह के योग संयोग में नवरात्रि पर्व पर देवी साधना विशेष फलदायक होता है।

नौ दिन नौ शुभ संयोग

-29 सितंबर, रविवार: प्रतिपदा घट स्थापना (अभिजीत मुहूर्त में )मां शैलपुत्री पूजन, अमृत/सर्वार्थ सिद्धि योग।

-30 सितंबर, सोमवार: द्वितीया मां ब्रह्मचारिणी पूजन।

01 अक्टूबर, मंगलवार: तृतीया मां चंद्रघंटा पूजन, रवियोग।

02 अक्टूबर, बुधवार: चतुर्थी मां कूष्मांडा पूजन, अमृत सिद्धि/ सर्वार्थसिद्धि योग।

03 अक्टूबर, गुरुवार: पंचमी मां स्कंदमाता पूजन , सर्वार्थसिद्धि/रवियोग।

04 अक्टूबर, शुक्रवार: षष्ठी मां कात्यायनी पूजन, रवियोग।

05 अक्टूबर, शनिवार: सप्तमी मां कालरात्रि पूजन.(महानिशा पूजा )

06 अक्टूबर, रविवार: अष्टमी मां महागौरी पूजन, सर्वार्थसिद्धि/रवियोग।

07 अक्टूबर, सोमवार: नवमी मां सिद्धिदात्री पूजन, सर्वार्थसिद्धि/रवियोग।

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नवरात्र के पहले दिन क्या करें?

-सुबह स्नान करने के बाद नए वस्त्र धारण करें।

-सूर्यदेव को जल दें और कुल देवी- देवता, पितर तथा घर में प्रतिष्ठित देवी देवताओं की पूजन करें।

-माता पिता व बड़े बुजुगरें का पैर छूकर आशीर्वाद प्राप्त करें।

-गुरु, ब्राह्मण, मातृशक्ति और बच्चों को वस्त्र अलंकार द्रव्य आदि देवें।

-घर के दरवाजों में आम्रपत्र का तोरण तथा वंदनवार लगायें।

-भगवा रंग का धर्म ध्वजा फहरायें। घर के दरवाजे पर रंगोली चौक डलवाएं।

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पूर्ण नवरात्र का मिलेगा विशेष लाभ

29 सितंबर से शुरू हो रहे नवरात्र में सुबह 6 बजकर 4 मिनट आश्विन शुक्ल पक्ष प्रतिपदा से दशमी पर्यन्त मां दुर्गा की आराधना ,उपासना का परम पुण्य दायक समय होता है। 29 सितंबर से नवरात्र शुरु होकर सात अक्टूबर, दिन सोमवार को महानवमी के समापन एवं आठ अक्टूबर, दिन मंगलवार को विजय दशमी के पावन पर्व के साथ समाप्त होगा। प्रतिपदा तिथि 29 सितम्बर 2019 दिन रविवार को सूर्योदय 6 बजकर 4 मिनट पर, हस्त नक्षत्र भी सम्पूर्ण दिन और रात्रि 10 बजकर 1 मिनट तक रहेगा। हालांकि ब्रम्ह योग सुबह 7 बजकर 20 मिनट तक ही है। इसके बाद पूरे दिन और रात्रि तक ऐन्द्र (इन्द्र) योग विद्यमान है । व्रत का आरम्भ रविवार से होने के कारण नवरात्र ऊर्जा और शक्ति से भरपूर रहेगा। हस्त नक्षत्र का अधिपति चन्द्रमा है और दिन स्वामी सूर्य, दोनों में पूर्ण मैत्री भाव होने से यह नवरात्र मैत्री भाव की समृद्धि प्रदान करने वाला होगा।

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कलश स्थापना

दिन रविवार 29 सितंबर को द्विस्वभाव या स्थिर लग्न या अभिजित मुहुर्त दिन में 11. 36 बजे से लेकर 12.24 बजे तक किया जाएगा। साथ ही यदि शुभ चौघडि़या भी मिल जाए तो अति उत्तम होगा।

वर्जन

व्रत का आरंभ रविवार से होने के कारण नवरात्र ऊर्जा और शक्ति से भरपूर रहेगा । हस्त नक्षत्र का अधिपति चन्द्रमा है और दिन स्वामी सूर्य, दोनो में पूर्ण मैत्री भाव होने से यह नवरात्र मैत्री भाव की समृद्धि प्रदान करने वाला होगा।

-पं। दिवाकर त्रिपाठी पूर्वाचली

ज्योतिषाचार्य

शारदीय नवरात्र पूरे नौ दिनों का है। इस बार नवरात्र ऊर्जा और शक्ति से भरपूर रहेगा, जिससे मानवीय कल्याण होगा।

-विद्याकांत पाण्डेय

ज्योतिषाचार्य