-2004 में बसपा के टिकट पर फूलपुर से उम्मीदवार रही थीं केशरी देवी

prayagraj@inext.co.in

PRAYAGRAJ: प्रयागराज की फूलपुर लोकसभा सीट देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू की सीट होने की वजह से हमेशा ही चर्चा में रही है. ्र2014 के बाद बीजेपी ने इस बार भी जातीय समीकरण को साधते हुए केशरी देवी पटेल को वहां से उम्मीदवार बनाया था. बीजेपी की रणनीति इस बार के इलेक्शन में भी सही बैठी और केशरी देवी पटेल ने जातीय समीकरण को साधते हुए जीत दर्ज की. लेकिन कम लोगों को ही पता है कि कभी इसी सीट से केशरी देवी पटेल को हार का सामना भी करना पड़ा था.

राजनीतिक ककहरा से सांसद तक

केशरी देवी पटेल के राजनैतिक सफर की शुरुआत की साथी भाजपा ही थी. पहली बार केशरी देवी पटेल भाजपा से जिला पंचायत सदस्य चुनी गयीं. फिर तत्कालीन जिला पंचायत अध्यक्ष के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाकर जिला पंचायत अध्यक्ष बन गयी. यहीं से केशरी देवी का कद प्रयागराज की राजनीति में नजर आया और जोड़तोड़ के साथ जातिगत राजनीति में उनकी पैठ की शुरुआत हुई. हालांकि, स्थानीय राजनीति में सपा-बसपा के हावी होने से व लंबी रेस का घोड़ा बनने के लिए उन्होंने बसपा का दामन थाम लिया. फिर वह बसपा में ही अपना कद बढ़ाने लगीं. इसका परिणाम यह रहा कि केशरी देवी 4 बार जिला पंचायत अध्यक्ष रही, लेकिन सबसे बड़ा सफर उन्होंने 2004 में तय किया जब उन्हें बसपा ने फूलपुर लोकसभा से टिकट दिया.

अतीक अहमद से हारी थीं

केशरी देवी पटेल का परिवार वषरें से राजनीति में सक्रिय है. वह पहले भी फूलपुर से चुनाव लड़ चुकी हैं. हालांकि तब बाहुबली अतीक अहमद से उन्हें मात दी थी. केशरी देवी पटेल इस चुनाव में 2,01085 वोट हासिल करके दूसरे स्थान पर रहीं. 2014 में बसपा ने फिर से केशरी देवी पर भरोसा जताया और इलाहाबाद संसदीय सीट से चुनाव मैदान में उतारा. लेकिन इस बार मोदी आंधी में केशरी की जीत की उम्मीदें बिखर गई. इस चुनाव में श्यामा चरण गुप्ता ने बाजी मारी और दूसरे स्थान पर सपा के रेवती रमण रहे. लेकिन यहां 1,62,045 वोट के साथ केशरी देवी तीसरे स्थान पर रहीं.