-नदियों के लगातार बढ़ते जल स्तर ने तीर्थ पुरोहितों की बढ़ाई चिंता

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PRAYAGRAJ: 14 सितम्बर से शुरू हो रहे पितृपक्ष में पुरुजों के तर्पण के लिए संगम आने वाले श्रद्धालुओं को गंगा-युमना के बढ़े जलस्तर से प्रॉब्लम होना तय है। 15 दिनों के पितृपक्ष के दौरान देश के अलग-अलग भागों से बड़ी संख्या में श्रद्धालु प्रयागराज आते हैं। इस दौरान वह संगम तट पर पिंडदान और अपने पूर्वजों के श्राद्धकर्म कराते हैं। पर इसबार सितंबर मंथ में हो रहे जलस्तर की वृद्धि से तीर्थपुरोहितों की टेंशन बढ़ा दी है। ऐसे में व्यवस्थित स्थान नहीं होने से विधि विधान से पिंडदान और श्राद्ध कर्म आदि को पूरा कराने में तीर्थपुरोहित एवं श्रद्धालुओं को दिक्कत का सामना करना पड़ेगा।

एडमिनिस्ट्रेशन नहीं करता कोई व्यवस्था

तीर्थपुरोहितों ने बताया कि पितृपक्ष का सबसे अधिक महत्व है। यही कारण है कि इन 15 दिनों में देश के अलग-अलग राज्य से लाखों श्रद्धालु अपने पूर्वजों के तर्पण के लिए संगम तट पर पहुंचते है। ऐसे में अगर इसी प्रकार जल स्तर में वृद्धि होती रही, तो तीर्थपुरोहित से ज्यादा समस्या श्रद्धालुओं को होगी। ऐसे मौके पर एडमिनिस्ट्रेशन की ओर से कोई खास व्यवस्था नहीं की जाती है। लगातार जल स्तर के बढ़ने के कारण तीर्थपुरोहित ही अपना सारा सामान लेकर ऊंचाई पर जाता है। यहां जल जमाव की स्थिति तो नहीं बनती है, लेकिन वहां पर पर्याप्त प्लेस नहीं होता। इससे श्रद्धालुओं को श्राद्ध कर्म कराने और विधि विधान को पूरा कराने में प्रॉब्लम होती है। ऐसे में श्रद्धालु भी असंतुष्ट रहते हैं।

वर्जन

- शनिवार से पितृपक्ष शुरू हो रहा है। जल स्तर बढ़ने से घाट भी पानी में डूब गये हैं, अब तीर्थ पुरोहितों को ऊचाई पर सारे सामान को ले जाना होता है, उस स्थान पर जगह कम रहती है। जिससे क्रियाकर्म आदि कराने में थोड़ी प्रॉब्लम होती है।

प्रदीप पाण्डेय, तीर्थ पुरोहित

- पितृपक्ष में प्रयागराज का महत्व बहुत अधिक है। बढ़ते जल स्तर के कारण पिंडदान करने वाले व तीर्थ पुरोहितों की समस्या बढ़ जाती है।

कमल शर्मा, तीर्थपुरोहित

- जल स्तर बढ़ने पर डिस्ट्रिक एडमिनिस्ट्रेशन की ओर से कोई व्यवस्था नहीं दी जाती है। ऐसे में तीर्थपुरोहितों को काफी दिक्कत होती है। एडमिनिस्ट्रेशन से रिक्वेस्ट है कि पितृपक्ष को देखते हुए तीर्थ पुरोहितों के लिए समुचित व्यवस्था करें।

कृष्ण दत्त तिवारी, तीर्थपुरोहित