रिपोर्ट सौंपने के लिए दिया छह हफ्ते का समय

मामले का राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने दोनों अफसरों को छह हफ्ते के भीतर अपनी रिपोर्ट सौंपने को कहा है। साथ ही पुलिस के इस कृत्य पर कड़ी फटकार लगाने के साथ यह बताने को कहा कि राज्य सरकार पुलिसकर्मियों को संवेदनशील बनाने के क्या उपाय कर रही है। ध्यान रहे कि आयोग इससे पहले भी कई एनकाउंटर्स को लेकर राज्य सरकार से जवाब-तलब कर चुका है। आयोग ने अपने नोटिस में कहा कि ऐसा लगता है कि यूपी पुलिस को अधिकारों का दुरुपयोग करने को फ्री छोड़ दिया गया है। वह अपनी उपलब्धियों के नाम पर पब्लिक को निशाना बना रहे हैं।

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ऐसी घटनाओं से समाज में गलत संदेश जाता

पुलिस का काम लोगों की सुरक्षा करना है और इस तरह की घटनाओं से समाज में गलत संदेश जाता है। इससे भय का वातावरण उत्पन्न होता है और इसे क्राइम को खत्म करने का सही तरीका नहीं माना जा सकता। इस मामले में घायल युवक हमलावर नहीं था। वह अपने दोस्तों के साथ जा रहा था और एसआई ने अपराधी की तरह उसका पीछा किया और उसके जीवन और स्वतंत्रता के अधिकार का हनन किया। आयोग ने अपने नोटिस में एक बार फिर सीएम योगी आदित्यनाथ के उस बयान का हवाला दिया, जिसमें उन्होंने कहा था कि 'अपराधी या तो जेल में होंगे अन्यथा मुठभेड़ में मार गिराए जाएंगे।

 

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