रूस ने ब्रिटेन के पूर्व उप प्रधानमंत्री निक क्लेग सहित 89 यूरोपीय नेताओं, अधिकारियों और सैन्य नेतृत्व के देश में प्रवेश पर प्रतिबंध लगा दिया है. ब्रिटिश सरकार ने मॉस्को के इस कदम को औचित्यहीन करार दिया है. यूरोपीय संघ ने भी इस पर कड़ी प्रतिक्रिया जाहिर की है. गत वर्ष जुलाई में ‘द संडे टाइम्स’ को दिए साक्षात्कार में निक क्लेग, यूक्रेन को लेकर रूसी राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन के रवैये पर काफी बरसे थे. उन्होंने रूस से 2018 फुटबाल विश्व कप की मेजबानी छीनने की भी मांग की थी. उन्होंने कहा था कि यह अकल्पनीय है कि रूस यह टूर्नामेंट कराएगा.

‘द संडे टाइम्स’ की खबर के अनुसार, रूस ने क्लेग के अलावा ब्रिटेन की आठ अन्य हस्तियों का भी देश में प्रवेश प्रतिबंधित कर दिया है. इनमें ब्रिटेन के पूर्व विदेश मंत्री सर मालकोलम रिफकाइंड भी शामिल हैं. उनके अलावा एम15 के महानिदेशक एंड्रयू पार्कर, एम16 के पूर्व प्रमुख जॉन सेवर्स और एक रक्षा मंत्री फिलिप डुने के नाम भी प्रतिबंधित सूची में हैं.
 
रूसी अधिकारियों द्वारा तैयार की गई इस सूची में जिन लोगों के नाम शामिल हैं, वे यूरोपीय संघ के उन सदस्य देशों के हैं, जिन्होंने रूस के खिलाफ आर्थिक प्रतिबंधों को लेकर मुहिम चला रखी थी. इस बीच, ब्रिटेन के विदेश व राष्ट्रमंडल कार्यालय ने कहा, ‘इस सूची का कोई औचित्य नहीं है. रूसी अधिकारी सूची और उसमें लिखे नामों के लिए कोई भी कानूनी आधार नहीं बता सके हैं.’ वहीं अन्य यूरोपीय नेताओं का कहना है कि रूस जो कुछ कर रहा है, वह अंतरराष्ट्रीय नियमों के खिलाफ है. स्वीडन की विदेश मंत्री मार्गट वाल्सट्राम ने कहा कि रूस के इस कदम से परस्पर विश्वास बनाने के प्रयासों को धक्का लगेगा.


मालूम हो, 2014 में यूक्रेन के क्रीमिया क्षेत्र पर कब्जे के बाद रूस के खिलाफ यूरोपीय संघ ने आर्थिक प्रतिबंध लगाए थे. इन्हें समय-समय पर बढ़ाया जाता रहा है. यूक्रेन में उसके बाद से सरकार समर्थित फौज और विद्रोहियों के बीच लड़ाई जारी है.

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