आगरा। पेट लवर्स से टैक्स वसूलने की तैयारी है, जबकि सड़कों पर घूम रहे आवारा डॉग्स की कोई जिम्मेदारी लेने को तैयार नहीं है। हाल ही में नगर निगम में इसके लिए प्रस्ताव रखा गया है। इसके पीछे तर्क दिया जा रहा है कि घर में पाल रखे डॉग शहर की सड़कों पर गंदगी फैलाते हैं, जबकि सड़कों पर घूम रहे आवारा डॉग्स द्वारा फैलाई जा रही गंदगी अफसरों को नहीं दिखती।

हादसे का कारण भी बनते हैं

शहर की सड़कों पर जगह-जगह आवारा डॉग्स के झुंड का कब्जा है। रात में ये झुंड और भी खतरनाक हो जाता है। इनकी चपेट में आकर कई बार टू-व्हीलर सवार हादसे का भी शिकार हो जाते हैं। इनको पकड़ने के लिए नगर निगम द्वारा कोई पहल नहीं की जाती।

सिर्फ बंदर और गायों पर ही ध्यान

आवारा जानवरों में नगर निगम का ध्यान सिर्फ बंदरों और गायों तक ही सिमटा है। शहर के लिए बड़ी समस्या बनती जा रही डॉग्स की बढ़ती संख्या की ओर अफसर ध्यान नहीं दे रहे हैं। ऐसे में पेट लवर्स से टैक्स भी वसूलने की तैयारी की जा रही है। नगर निगम के सदन में पेश किए गए आंकड़े पर यकीन करें तो शहर में 10 हजार के करीब पेट डॉग्स। अगर टैक्स के बाद पेट लवर्स इन्हें भी सड़कों पर छोड़ देते हैं, तो सड़कों पर डॉग्स की संख्या का सिर्फ अंदाजा ही लगाया जा सकता है।

नगर निगम में उठा था मुद्दा

- एक करोड़ आय की उम्मीद

आगरा.: अगर आप डॉग पाल रहे हैं तो यह शौक अब महंगा पड़ेगा। नगर निगम में रजिस्ट्रेशन करना होगा और एक हजार रुपये सालाना टैक्स देना होगा। इससे निगम प्रशासन को एक करोड़ रुपये की आय की उम्मीद है। नगर निगम की नियमावली के तहत डॉग पालने पर टैक्स का प्रावधान है। बुधवार को नगर निगम के सदन में पार्षद ने इसका प्रस्ताव रखा था। पार्षद ने बताया कि शहर में दस हजार के करीब पेट डॉग्स हैं। हर दिन लोग घरों से बाहर इन्हें घुमाने ले जाते हैं। यह सभी डॉग्स रोड या फिर किसी खाली जगह पर गंदगी करते हैं। जिसकी सफाई निगम के कर्मचारी करते हैं। ऐसे में निगम को डॉग्स पालने वालों से टैक्स लेना चाहिए। सदन में अधिकांश पार्षदों ने इस प्रस्ताव का समर्थन किया। पार्षदों का कहना था कि यह लग्जरी श्रेणी में आता है। ऐसे में टैक्स लेने में कोई बुराई नहीं है। उधर, शहर में घूम रहे आवारा डॉग्स को लेकर कोई चर्चा नहीं हुई। न ही इनकी नसबंदी को लेकर कोई प्रस्ताव लाया गया।