एंड्रोजेंस की अधिकता पाई

स्पेन में बार्सिलोना के पोंप्यू फाब्रा युनिवर्सिटी ने नाइट शिफ्ट में काम करने वाले लोगों पर हाल ही में एक अध्ययन किया है। जिसमें नाइट शिफ्ट में काम करने वाले 75 तथा दिन की शिफ्ट में काम करने वाले 42 व्यक्तियों का चयन किया गया। इस अध्ययन में उनके मूत्र में हॉर्मोन के स्तर की जांच की गई। इस दौरान काफी शॉकिंग परिणाम सामने आएं। जिसमें  नाइट शिफ्ट में काम करने वाले लोगों में हमने प्रोजेस्टाजेंस तथा एंड्रोजेंस की अधिकता पाई गई। इतना ही नहीं इसके साथ ही एंड्रोजेन के निर्माण में विलंब भी देखा गया। जिससे शोधकर्ताओं का मानना है कि गलत समय पर इस्ट्रोजन व प्रोजेस्ट्रॉन जैसे सेक्स हॉर्मोन की अधिकता घातक हो सकती है। ये कैंसर की बीमारी का कारण हो सकते है।

बीमारियां होने का खतरा

इस संबंध में शोधकर्ताओं का कहना है कि अध्ययन के दौरान नाइट शिफ्ट में काम करने वाले लोगों में सुबह 10 बजे से दोपहर दो बजे तक सेक्स हॉर्मोन जैसे टेस्टोस्टेरॉन की अधिकता पाई गई। जो कि इसके लिए बिल्कुल गलत समय है, क्योंकि इसके लिए सुबह छह बजे से सुबह 10 बजे तक का समय बिल्कुल सही है। उनका कहना है कि बिना सही समय के सेक्स हॉर्मोन का निर्माण होने से हॉर्मोन से संबंधित कैंसर की बीमारियां उत्पन्न होने का खतरा अधिक रहता है। जब कि डे शिफ्ट में काम करने वाले लोगों में यह क्षमता बिल्कुल सही पाई गई। जिससे अब यह साफ है कि अगर आप नाइट शिफ्ट में काम करते हैं तो थोड़ा सा अपने स्वास्थ्य के प्रति आपको सचेत होने की जरूरत है।

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