नई दिल्ली (पीटीआई)। Nirbhaya case दिल्ली हाईकोर्ट ने बुधवार को निर्भया के सामूहिक दुष्कर्म और हत्या के मामले में चारों दोषियों की फांसी पर रोक के खिलाफ केंद्र और दिल्ली सरकार की याचिका खारिज कर दी। इस फैसले के खिलाफ केंद्र और दिल्ली दिल्ली सरकार अब सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई है। उच्च न्यायालय के फैसले के घंटों बाद, दोनों सरकारों ने शीर्ष अदालत में इसके खिलाफ अपील दायर की। हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि निर्भया कांड के सभी चार दोषियों को एक साथ फांसी पर लटकाना होगा, अलग से नहीं। इसके अलावा, अदालत ने 2017 में सर्वोच्च न्यायालय द्वारा दोषियों की अपील की अस्वीकृति के बाद डेथ वारंट जारी करने के लिए कदम नहीं उठाने को लेकर संबंधित अधिकारियों को दोष दिया।
लगभग एक जैसी है अपील दायर करने की प्रक्रिया
इस मामले से जुड़े एक वकील ने कहा कि ट्रायल कोर्ट के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर की गई है, वहां भी याचिका दायर करने की प्रक्रिया भी लगभग उसी तरह की है जैसे कि उच्च न्यायालय में है। उन्होंने कहा कि अब उच्च न्यायालय के फैसले की कॉपी का इंतजार है, केंद्र और दिल्ली सरकार अब इंतजार नहीं कर सकती है। शीर्ष अदालत में दायर हुई याचिका में कहा गया है कि दोषियों को अलग-अलग से फांसी दी जा सकती है क्योंकि मुकेश ने दया याचिका सहित अपने सभी उपचार समाप्त कर दिए हैं।
पैरामेडिकल छात्रा की दुष्कर्म के बाद हत्या
बता दें कि 16 दिसंबर, 2012 की रात दिल्ली में एक चलती बस में 23 साल की पैरामेडिकल छात्रा के साथ 6 लोगों ने सामूहिक दुष्कर्म कर उसे चलती बस से बाहर फेंक दिया था। 29 दिसंबर को उसकी माैत हो गई थी। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर दोषी अक्षय, मुकेश, पवन गुप्ता और विनय शर्मा को फांसी होनी है जबकि एक दोषी आरोपी राम सिंह ने तिहाड़ जेल में कथित तौर पर आत्महत्या कर ली थी। वहीं एक अन्य आरोपी किशोर को किशोर न्याय बोर्ड ने दोषी ठहराया था।उसे तीन साल तक सुधार गृह में रखने के बाद रिहा कर दिया गया था।
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