नई दिल्ली (पीटीआई/एएनआई)। Nirbhaya Case दिल्ली की एक अदालत में शुक्रवार को निर्भया सामूहिक दुष्कर्म और हत्या मामले में मृत्युदंड के तीन दोषियों की ओर से 1 फरवरी को होने वाली फांसी पर रोक लगाने की याचिका पर सुनवाई हुई। अदालत ने अगले आदेश तक फांसी की सजा को स्थगित कर दिया है। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश धर्मेंद्र राणा ने तिहाड़ जेल अधिकारियों और दोषियों के वकील की दलीलें पूरी करने के बाद आदेश सुरक्षित रख लिया। अक्षय ठाकुर, पवन गुप्ता, और विनय शर्मा की ओर से अदालत में डेथ वारंट पर रोक लगाने की मांग की गई।


एक की याचिका लंबित हो तो दूसरों को फांसी नहीं हो सकती
दोषियों की ओर से पेश वकील एपी सिंह ने वकील ए पी सिंह ने अदालत से फांसी पर अनिश्चितकालीन स्थगन लगाने का अनुरोध किया। उन्होंने तिहाड़ जेल अधिकारियों से असहमति जताई और कहा कि नियमों के मुताबिक जब एक दोषी की याचिका लंबित हो तो दूसरों को फांसी नहीं दी जा सकती। मुकेश ने बिना किसी देरी के सभी कानूनी उपायों का पालन किया है। दोषी विनय दया याचिका दायर की है। दूसरी ओर सरकारी वकील इरफान अहमद ने कहा कि केवल एक विनय की दया याचिका लंबित है और अन्य को फांसी दी जा सकती है


मुकेश ने उपलब्ध सभी कानूनी उपायों को पूरा कर लिया
सरकारी वकील ने यह भी कहा कि दोषियों को किसी भी तरह की राहत देना न्याय का द्रोह होगा। ऐसे में उनके आवेदनों को खारिज कर दिया जाए। पीड़ित पक्ष का प्रतिनिधित्व कर रहीं एडवोकेट सीमा कुशवाहा ने कहा कि दोषी न्याय की गति को विफल करने के लिए देर की रणनीति अपना रहे हैं। सुबह तिहाड़ जेल अधिकारियों ने इस मामले में एक स्थिति रिपोर्ट दायर की और अदालत को सूचना दी थी कि तीन दोषियों को फांसी दी जा सकती है। दोषी मुकेश ने उपलब्ध सभी कानूनी उपायों को पूरा कर लिया है।


निर्भया के चारो दोषियों को 1 फरवरी को फांसी दी जानी
निर्भया मामले में चार दोषियों - अक्षय ठाकुर, मुकेश सिंह, पवन गुप्ता, और विनय कुमार शर्मा को 1 फरवरी को फांसी दी जानी है। मामले में मौत की सजा पाने वाले मुकेश कुमार की दया याचिका 17 जनवरी को राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने खारिज कर दी थी। ट्रायल कोर्ट ने 17 जनवरी को सभी चार दोषियों की फांसी की सजा के लिए दूसरी डेथ वारंट जारी करते हुए 1 फरवरी को सुबह 6 बजे तिहाड़ जेल में फांसी का ऐलान किया था। सुप्रीम कोर्ट द्वारा बुधवार को अस्वीकृति के खिलाफ मुकेश की अपील को खारिज कर दिया है।


पवन ने अभी तक क्यूरेटिव पिटीशन दायर नहीं की है
इससे पहले, अदालत ने 7 जनवरी को फांसी की तारीख 22 जनवरी तय की थी लेकिन वह टल गई थी। वहीं विनय और अक्षय की क्यूरेटिव पिटीशन को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया है। इसके अलावा दोषी पवन ने अभी तक क्यूरेटिव पिटीशन दायर नही की है। बता दें कि 16 दिसंबर, 2012 की रात को दिल्ली में एक चलती बस में 23 साल की पैरामेडिकल छात्रा के साथ 6 लोगों ने सामूहिक दुष्कर्म करने के साथ ही उसे चलती बस से बाहर फेंक दिया था। उसकी 29 दिसंबर, 2012 को सिंगापुर के एक अस्पताल में माैत हो गई थी।

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