नई दिल्ली (आईएएनएस) दोषी विनय, अक्षय, पवन और मुकेश को शुक्रवार की सुबह 5:30 बजे फांसी होनी तय है। देश की राजधानी में इस वारदात को हुए सात साल से ज्यादा बीत चुके हैं। इनकी फांसी टालने के लिए हर प्रकार के पैंतरे आजमाए गए लेकिन आखिर वह दिन आ ही गई जब चारों दोषियों को फांसी दे दी जाएगी।

16 दिसंबर, 2012

चलती बस में छह व्यक्तियों ने 23 साल की एक फिजियोथेरेपी स्टूडेंट का सामूहिक दुष्कर्म किया और दरिंदगी के बाद उसे चलती बस से फेक दिया। युवती को बाद में निर्भया नाम दिया गया। बस में उसके पुरुष मित्र को भी पीटा गया था। जख्मों की वजह से 13 दिन बाद निर्भया ने दम तोड़ दिया था। दोषियों ने उसके निजी अंक में राॅड घुसेड़ दी थी, जिससे उसमें गंभीर चोटें आई थीं। इस घटना के बाद से देश हिल गया था और बड़े पैमाने पर प्रदर्शन हुए थे।लोगों की तीखी प्रतिक्रिया के बाद देश के दुष्कर्म के कानून में बदलाव किए गए। दिल्ली पुलिस ने तेजी से इस मामले में जांच की और घटना के कुछ दिन बाद ही सभी अभियुक्तों को धर दबोचा, जिनमें एक नाबालिग भी था। नाबालिग आरोपी का मामला जुबेनाइल जस्टिस बोर्ड में ट्रांसफर कर दिया गया।

3 जनवरी, 2013

पुलिस ने पांच आरोपियों मुकेश, विनय, अक्षय, पवन और राम सिंह के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल कर दिया। इन पर हत्या, हत्या के प्रयास, सामूहिक दुष्कर्म, अपहरण, अप्राकृतिक कृत्य और डकैती के आरोप लगाए गए। यौन उत्पीड़न के मामले की सुनवाई के लिए फास्ट ट्रैक कोर्ट की स्थापना की गई।

11 मार्च, 2013

मामले का एक आरोपी राम सिंह ने तिहाड़ जेल में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली।

31 अगस्त, 2013

इस घटना के पांच महीने बाद नाबालिग आरोप को जुबेनाइल जस्टिस बोर्ड ने उसे दुष्कर्म और हत्या के जुर्म में तीन साल के लिए सुधार गृह भेज दिया। 10 दिन बाद ट्रायल कोर्ट ने चार अन्य आरोपियों को गंभीर अपराधों के जुर्म सामूहिक दुष्कर्म, अप्राकृतिक कृत्य, हत्या और निर्भया के पुरुष मित्र को जान से मारने के प्रयास के जुर्म में दोषी करार दे दिया।

13 सितंबर, 2013

कोर्ट ने चारों दोषियों को फांसी की सजा सुना दी। इसके बाद दोषियों ने दिल्ली हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाय और निचली अदालत के फैसले को चुनौती दी।

13 मार्च, 2014

दिल्ली हाई कोर्ट ने उन्हें कोई राहत नहीं दी और निचली अदालत के फैसले को बरकरार रखा।

5 मई, 2017

राहत के लिए उन्होंने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया लेकिन जस्टिस दीपक मिश्र के नेतृत्व वाली बेंच ने उनकी फांसी की सजा को बरकरार रखा। सर्वोच्च न्यायालय ने अपने फैसले में कहा कि इस अपराध ने देश के लोगों को सुनामी की तरह हिला कर रख दिया। यह मामला 'रेयरेस्ट ऑफ रेयर' है।

आखिरकार लंबे इंतजार के बाद निर्भया को मिला न्याय

इसके बाद दोषियों ने अपने संवैधानिक और कानूनी अधिकारों जैसे रिव्यू, क्यूरेटिव और मर्सी पिटिशन का पिछले तीन सालों में धीरे-धीरे इस्तेमाल किया। उनके कानूनी अधिकारों के चलते उनकी फांसी की तारीख को इस साल तीन बार टाला गया। लेकिन हर उन्हें खारिज कर दिया गया। पवन गुप्ता अंतिम दोषी था जिसके सभी कानूनी और संवैधानिक अधिकार 4 मार्च, 2020 को खत्म हो गए थे। इसके बाद कोर्ट ने चारों दोषियों को फांसी पर लटकाने के लिए डेथ वारंट जारी कर दिया। इसके मुताबिक इन्हें शुक्रवार को सुबह 5:30 बजे फांसी दी जानी है। इसके साथ ही देश की बेटी को न्याय मिल जाएगा।

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