नई दिल्ली (आईएएनएस)। तिहाड़ जेल के वरिष्ठ अधिकारी पिछले 36 घंटों से निर्भया सामूहिक दुष्कर्म और हत्या मामले में सभी चार दोषियों को फांसी देने की तैयारियों में व्यस्त थे। तिहाड़ जेल के महानिदेशक संदीप गोयल, महानिरीक्षक राज कुमार और जेल नंबर 3 के अधीक्षक सुनील बुधवार से जेल परिसर से बाहर नहीं आए क्योंकि वे फांसी की तैयारी में व्यस्त थे। खैर शुक्रवार को वो दिन आ गया, जब सात साल से अधिक इंतजार के बाद गुनहगारों को उनके जघन्य अपराध की सजा मिली।

पूरी रात नहीं सोया पवन जल्लाद

तिहाड़ प्रशासन ने चार दोषियों - विनय शर्मा, अक्षय ठाकुर, मुकेश सिंह और पवन गुप्ता को फांसी देने से पहले अतिरिक्त सुरक्षा मांगी। केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के जवानों के साथ-साथ अतिरिक्त सुरक्षा बलों को जेल परिसर में और आस-पास की कानून-व्यवस्था की स्थिति को बनाए रखने के लिए तैनात किया गया था। सूत्रों ने कहा कि जल्लाद पवन जल्लाद भी पूरी रात सोए नहीं थे। उन्होंने शुक्रवार को सुबह 5.30 बजे मौत की सजा को लागू करने से पहले सुबह 3 बजे से ही दोषियों को फांसी देने वाले फंदों को उनकी जगह रखा। डिप्टी कमिश्नर और असाइन किए गए डॉक्टर ने फांसी के बाद डेथ सर्टिफिकेट पर साइन किए।

पहली बार चार को एकसाथ फांसी

यह पहली बार है कि दक्षिण एशिया की सबसे बड़ी तिहाड़ जेल में चार अपराधियों को एकसाथ फांसी दी गई है। इस जेल में 16,000 से ज्यादा बंदी हैं। इन चारों को फांसी उनके सभी संभव कानूनी अधिकार खत्म होने के बाद दी गई है। 22 जनवरी को पहली बार डेथ वारंट जारी होने के बाद से ही वे पिछले दो महीने से बार-बार फांसी टलवा रहे थे। जेल के डाइरेक्टर जनरल संदीप गोयल ने कहा कि उन्हें सुबह 5.30 बजे फांसी दी गई।

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