नई दिल्ली (पीटीआई) सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश द्वारा दायर की गई उस याचिका को खारिज कर दिया है, जिसमें निर्भया सामूहिक दुष्कर्म व हत्या मामले में चार दोषियों को अंगदान का विकल्प देने को लेकर तिहाड़ जेल के अधिकारियों को आदेश देने की मांग की गई थी। न्यायमूर्ति आर बनुमथी और ए एस बोपन्ना की पीठ ने कहा, 'पीआईएल के माध्यम से आप इस तरह का निर्देश नहीं दे सकते हैं। यदि वे (दोषी) ऐसा करना चाहते हैं तो वे स्वयं या अपने परिवार के सदस्यों के माध्यम से ऐसी बातें व्यक्त कर सकते हैं।' वहीं, जब याचिकाकर्ता बॉम्बे हाईकोर्ट के पूर्व न्यायाधीश माइकल एफ सलदाना के वकील ने इसे प्रस्तुत करना जारी रखा, तो पीठ ने कहा कि पूर्व न्यायाधीश द्वारा याचिका 'गलत' थी।

जज ने कहा, 'कुछ मानवीय दृष्टिकोण रखें'

पीठ ने कहा, 'किसी व्यक्ति को फांसी देना उसके परिवार के लिए सबसे दुखद घटना है। आप (याचिकाकर्ता) चाहते हैं कि उनका शरीर टुकड़ों में काट दिया जाए। कुछ मानवीय दृष्टिकोण रखें। अंग दान स्वैच्छिक होना चाहिए।' याचिकाकर्ता ने शीर्ष अदालत से कहा कि वह सभी फांसी के मामले में पूर्व शर्त के रूप में इसे बनाने की वांछनीयता पर विचार करे। निर्भया कांड में मौत की सजा पाने वाले चार दोषी हैं- मुकेश कुमार सिंह (32), पवन गुप्ता (25), विनय कुमार शर्मा (26) और अक्षय कुमार (31)। 16 दिसंबर 2012 को, एक 23 वर्षीय फिजियोथेरेपी इंटर्न के साथ दक्षिण दिल्ली में चलती बस में सामूहिक दुष्कर्म और बर्बरतापूर्वक हमला किया गया था। कुछ दिनों बाद उसकी मौत हो गई। इस मामले में चार दोषियों और एक किशोर सहित छह लोगों को आरोपी बनाया गया था। छठे आरोपी राम सिंह ने मामले में मुकदमा शुरू होने के बाद तिहाड़ जेल में कथित रूप से आत्महत्या कर ली। वहीं किशोर को 2015 में सुधार गृह में तीन साल बिताने के बाद रिहा कर दिया गया।

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