नई दिल्ली (पीटीआई/एएनआई)याचिका खारिज होने के बाद दोषियों के वकील ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि मामले में दोषी पवन गुप्ता और अक्षय सिंह के परिजनों को फांसी से 5-10 मिनट पहले मिलने की इजाजत दी जाए। इस पर साॅलिसीटर जनरल ने तुषार मेहता ने कहा कि जेल मैनुअल रूल के मुताबिक फांसी के पहले दोषियों को परिजनों से मिलने की इजाजत नहीं दी जाती।

याचिका खारिज, कोर्ट ने नहीं मानी दलील

सुप्रीम कोर्ट ने फांसी के दोषी पवन गुप्ता की याचिका को खारिज कर दिया है। इसमें उसने राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद द्वारा अपनी दूसरी दया याचिका खारिज कर देने को चुनौती दी थी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि उसके नाबालिग होने के दावे को अदालतों ने सुन कर खारिज किया था इसलिए वह यह नहीं कह सकता कि उसके नाबालिग होने के तथ्य को ध्यान नहीं दिया गया।

फांसी की सजा कम करने की दलील खारिज

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कोर्ट के पास राष्ट्रपति के दया याचिका संबंधी फैसले की समीक्षा करने का अधिकार बहुत सीमित है। दोषी के वकील ने कहा कि पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री बेअंत सिंह का हवाला देते हुए निर्भया के दोषी को राहत देने की बात कही थी। पवन गुप्ता ने अपनी याचिका में कहा कि जेल में पिछले साल उसे एक पुलिसकर्मी ने मारा था। इस तथ्य का हवाला देकर वह अपनी फांसी 1-2 दिन टालना चाहता था ताकि वह पिटाई मामले में अपना बयान दर्ज करवा सके।

कोर्ट ने पूछा बार-बार एक ही दलील क्यों

सुप्रीम कोर्ट ने पवन गुप्ता के नाबालिग होने की दलील को खारिज कर दिया। पवन के वकील ने कहा कि उनके मुवक्किल को दो घंटे बाद फांसी दे दी जाएगी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आप बार-बार स्कूल सर्टिफिकेट की दलील देकर दोषी के नाबालिग होने का बार-बार दावा क्यों करते हैं।

सुप्रीम कोर्ट ने पूछा किस आधार पर राष्ट्रपति के आदेश को चुनौती?

सुप्रीम कोर्ट ने पवन गुप्ता के वकील से पूछा कि किस आधार पर वे राष्ट्रपति द्वारा दया याचिका खारिज किए जाने को चुनौती दे रहे हैं। इसके अलावा आप जो दलीलें दे रहें हैं वे सब पुरानी दलीलें हैं, जिन्हें आप पहले रख चुके हैं। केंद्र सरकार के साॅलिसीटर जनरल ने आपत्ति दर्ज कराते हुए कहा कि दोषी पवन गुप्ता के नाबालिग होने की दलील फांसी टालने के लिए दी जा रही है।

याचिका में राष्ट्रपति के फैसले को चुनौती

फांसी का इंतजार कर रहे चारों दोषियों की फांसी पर रोक लगाने के लिए उनके वकील एपी सिंह सुप्रीम कोर्ट पहुंच गए हैं। कोर्ट रात 2.30 बजे मामले की सुनवाई चल रही है। फांसी से थोड़ी देर पहले 2012 के निर्भया सामूहिक दुष्कर्म और मर्डर केस के चार दोषियों में से एक पवन गुप्ता के वकील बृहस्पतिवार को सुप्रीम कोर्ट पहुंच गए थे। याचिका में उन्होंने राष्ट्रपति द्वारा दूसरी दया याचिका ठुकराए जाने को चुनौती दी है। याचिका में कहा गया है कि राष्ट्रपति ने 19 मार्च को जो दया याचिका ठुकराई है वह असंवैधानिक है और कानून के मुताबिक नहीं है।

साॅलिसीटर जनरल से जताई आपत्ति

केंद्र की ओर से कोर्ट में पेश साॅलिसीटर जनरल ने आपत्ति दर्ज कराते हुए कहा कि पवन गुप्ता के नाबालिग होने का मामला पहले सुना जा चुका है। आप जजमेंट को रिव्यू करने के लिए कह रहे हैं, निचली अदालत, दिल्ली हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट इस दावे को पहले ही खारिज कर चुके हैं।

याचिका में दावा कोर्ट से तथ्य छिपाए गए

याचिका में दावा किया गया है कि अभियोजन ने कुछ तथ्य जो मामले में उनके मुवक्किल के बचाव के लिए सबूत बन सकते थे उन्हें कोर्ट से छिपाए गए। 26 फरवरी, 2017 को राज्य ने पवन के स्कूल प्रिंसिपल को जन्म संबंधी दस्तावेज के लिए नोटिस दिया गया। लेकिन कोर्ट से उन तथ्यों को छिपा दिया गया। याचिका में कहा गया है कि पवन ने स्कूल रिकाॅर्ड के मुताबिक अपने जन्म तिथि का शपथपत्र दाखिल किया। इसके साथ 3 फरवरी, 2017 के सर्वोच्च न्यायालय का आदेश भी है।

याचिका में फांसी को उम्रकैद में बदलने की गुहार

याचिका में कहा गया है कि आदेश से साफ है कि अभियोजन ने शपथ पत्र में ढिलाई बरती गई है। याचिका में दावा किया गया है कि अपराध के समय याचिका कर्ता पवन नाबालिग था। याचिका में फांसी की सजा घटा कर उम्रकैद में तब्दील कर दिया जाए।

तुषार मेहता पहुंचे

साॅलीसिटर जनरल तुषार मेहता दिल्ली सामूहिक दुष्कर्म मामले की सुनवाई में शामिल होने के लिए सुप्रीम कोर्ट पहुंच गए हैं। थोड़ी देर में सर्वोच्च न्यायालय में मामले की सुनवाई होने वाली है।

खुला है सुप्रीम कोर्ट

इससे पहले दिल्ली दुष्कर्म मामले के दोषियों के वकील एडवोकेट एपी सिंह ने कहा था कि वे अर्जेंट सुनवाई और डेथ वारेंट को स्थगित करने के लिए सुप्रीम कोर्ट में जाएंगे। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल कर दी है। कोर्ट अभी भी खुला है और वहां काम हो रहा है।

निर्भया के माता-पिता सुप्रीम कोर्ट पहुंचे

दिल्ली सामूहिक दुष्कर्म मामले की पीड़ित निर्भया के माता-पिता सुप्रीम कोर्ट पहुंच गए हैं।

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