कानपुर (इंटनेट डेस्क)। Nirjala Ekadashi 2021 हिंदू धर्म में ज्येष्ठ मास के शुक्लपक्ष की एकादशी को निर्जला एकादशी कहते है। इस बार यह एकादशी 21 जून दिन सोमवार को पड़ रही है। निर्जला एकादशी को बिना जल के पूरे दिन उपवास किया जाता है। मान्यता है कि इस व्रत को करने से लंबी और आरोग्य आयु की प्राप्ति होती है। ज्योतिषाचार्य और वास्तुविद डाॅक्टर त्रिलोकीनाथ के अनुसार निर्जला एकादशी व्रत करने से एक साथ साल भर की एकादशी के व्रत का फल मिलता है। निर्जला एकादशी में भगवान विष्णु के पूजन का विधान है। इस दिन व्रत रखने से पापों से मुक्ति मिलती है और भगवना विष्णु की विशेष कृपा प्राप्त होती है।

निर्जला एकादशी के दिन दान करना शुभ

निर्जला एकादशी के दान का भी विशेष महत्व है। इस दिन कपड़े व अनाज या फिर जो भी सामर्थ्य हो वह दान किया जा सकता है। ग्रीष्म ऋतु होने से अधिकांशत: इस दिन शीतलता प्रदान करने वाली चीजें घड़ा-सुराही, खजूर के पत्तों से बने, दही, आम, तरबूज, खरबूजे आदि का दान किया जाता है। गरीब व जरूरतमंद को दान देने से लाभ होता है।

एक दिन पहले से ही चावल नहीं खाना चाहिए

निर्जला एकादशी के दिन कुछ खास बातों का ध्यान रखना बहुत जरूरी हाेती है। दृक पंचांग के मुताबिक इस दिन एकादशी व्रत करने वाले स्त्री-पुरुष को दशमी वाले दिन मांस, प्याज तथा मसूर की दाल नहीं खानी चाहिए। एक दिन पहले से ही चावल का त्याग कर देना चाहिए तथा व्रत को करने से पहले केवल शुद्ध सात्विक भोजन ही करना चाहिए।

इस दिन बुराई व किसी का दिल न दुखाएं

निर्जला एकादशी व्रत वाले दिन यदि शरीर स्वस्थ्य हो तो जल ग्रहण नहीं करना चाहिए। निर्जला एकादशी का व्रत रखने वाले को एकादशी वाले दिन पेड़ से तोड़ी हुई लकड़ी की दातुन नहीं करनी चाहिए। इस दिन पेड़ से पत्ता या लकड़ी तोड़ना वर्जित होता है। इसके अलावा इस दिन किसी की बुराई करने व किसी का दिल दुखाने से बचना चाहिए।

Nirjala Ekadashi 2021: 21 जून को है निर्जला एकादशी, जानें व्रत का समय, इतिहास और महत्व

Nirjala Ekadashi 2021 : निर्जला एकादशी व्रत सबसे फलदायी, जानें पूजा विधि, शुभ मुहूर्त और व्रत कथा