कानपुर (इंटरनेट डेस्क)। निर्जला एकादशी हिंदुओं के लिए एक पवित्र दिन है। यह सनातन धर्म की 24 एकादशी में से एक है। ज्येष्ठ में शुक्ल पक्ष के दौरान पड़ती है। निर्जला एकादशी का उपवास निर्जल यानी कि बिना जल के रखा जाता है। इस एकादशी को ग्रंथों में भीमसेन एकादशी का नाम भी दिया गया है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन व्रत रखने से पापों से मुक्ति मिलती है। इस वर्ष निर्जला एकादशी 10 जून को मनाई जा रही है। निर्जला एकादशी में भी अन्य एकादशी की तरह भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। भगवान विष्णु की एक मूर्ति को पंचामृत में स्नान कराया जाता है।
भीम एकादशी या पांडव निर्जला एकादशी भी हैं कहते
मान्‍यता है कि पाण्डवों में भीम को खाने-पीने का बहुत शौक था। उन्‍हें अपनी भूख को नियंत्रित करना उनके लिए काफी मुश्किल था। इसकी वजह से वह एकादशी व्रत को भी नहीं कर पाते थे। भीम के अलावा अन्य पाण्डव भाई और द्रौपदी साल की सभी एकादशी व्रतों को पूरी श्रद्धा भक्ति से किया करते थे। भीम अपनी इस कमजोरी को लेकर परेशान थे। भीम को लगता था कि वह एकादशी व्रत न करके भगवान विष्णु का अनादर कर रहे हैं। इस दुविधा से उभरने के लिए भीमसेन महर्षि व्यास के पास गए तब महर्षि व्यास ने भीमसेन को साल में एक बार निर्जला एकादशी व्रत को करने कि सलाह दी। तभी से निर्जला एकादशी को भीम एकादशी या पांडव निर्जला एकादशी के नाम से भी जाना जाता है।