काफी समय से जेल के अस्पताल में था भर्ती
पंढेर जब जेल से बाहर निकाला तो बेहद कमजोर दिख रहा था. पंढेर को जेल के बाहर मीडिया ने घेर लिया, लेकिन वह ‘नो कमेंट्स’ कहकर परिजनों के साथ कार में बैठकर चला गया. बताया जा रहा है कि पंढेर को शुगर डाउन की बीमारी थी. जेल के अस्पताल में वह काफी समय से भर्ती था.
 
...तब जाकर मिली जमानत
30 दिसंबर 2006 से डासना जेल में बंद निठारी कांड के आरोपी पंढेर को अगस्त में ही पांचों मामलों में हाईकोर्ट से जमानत मिल गई थी. पंढेर के परिजनों की ओर से बेल-बॉन्ड पेश किए जाने के बाद कोर्ट ने दस्तावेज सत्यापन के लिए भेजे. वहीं एक मामले में धारा कम होने से उसकी रिहाई अटक गई थी. पंढेर के परिजन दोबारा से हाईकोर्ट गए. वहां से जमानत प्रक्रिया पूरी होने के बाद गाजियाबाद सीबीआई कोर्ट में बेल-बॉन्ड पेश किए. इसी के चलते शनिवार को सीबीआई विशेष न्यायाधीश ने पंढेर का रिहाई परवाना जारी कर दिया. यहां बताते चलें कि 29 दिसंबर, 2006 को निठारी कांड का खुलासा हुआ था. उसी दिन पुलिस ने खूनी कोठी के मालिक मोनिंदर सिंह पंढेर और उसके नौकर सुरेंद्र कोली को गिरफ्तार कर लिया था. पंढेर को पांच मामलों में जमानत मिल गई थी, जबकि छठे मामले (रिम्पा हलदर) में वह उच्च न्यायालय से बरी हो गया था. हालांकि, मामला उच्चतम न्यायालय में चल रहा है.

...तो सिर्फ कोली है पूरे कांड का आरोपी!
कोर्ट ने कहा है कि, सीबीआई ने याची के खिलाफ आरोप पत्र नहीं दिया, सिर्फ सुरेंद्र कोली ही आरोपी है. वह पिछले सात साल से जेल में बंद है. उन्होंने कहा कि सभी मुकदमे सीबीआई अदालत में चल रहे हैं. इनमें 35 लोगों की गवाही हो चुकी है. अन्य मामलों में कोर्ट से छूट मिल चुकी है.
 
29 अक्टूबर तक टली फांसी
बताते चलें कि सुरेंद्र कोली को सात सितंबर से 12 सितंबर के बीच फांसी दी जानी थी, लेकिन फांसी की तैयारियों के बीच सुप्रीम कोर्ट से फांसी की सजा टलने के आदेश आने पर उसकी फांसी रोक दी गई थी. अब उसको सुनवाई के लिए खुली अदालत में अपनी बात रखने का मौका मिला है. 29 अक्टूबर को यह सुनवाई होगी. तब तक उसकी फांसी की सजा रोक दी गई है.
 
एक नजर पूरे निठारी कांड पर
निठारी गांव में पंढेर के मकान के नीचे नाले में दर्जनों बच्चों के कंकाल मिले थे. कोली पर बच्चों का बलात्कार और नृशंस हत्या करने का आरोप लगा था. इस मामले में दर्ज अपहरण और हत्या के कई मामलों में इन्हें दोषी करार देते हुए निचली अदालत ने फांसी की सजा सुनाई थी. इस कांड ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया था. इसके बाद आरोपियों को कड़ी से कड़ी सजा की मांग की गई थी. मामले की गंभीरता को देखते हुए 11 जनवरी 2007 को सीबीआई ने पूरा केस अपने हाथ में ले लिया. 28 फरवरी और 01 मार्च 2007 को सुरेंद्र कोली ने दिल्ली में एसीएमएम के यहां अपने इकबालिया बयान दर्ज कराए थे. इन बयानों की वीडियोग्राफी भी हुई थी. निठारी केस के तीन मामले ऐसे भी हैं, जिनके बारे में सीबीआई भी कुछ तलाश नहीं कर सकी. जांच के बाद सीबीआई ने इन तीनों ही मामलों में अपनी फाइनल रिपोर्ट कोर्ट में दाखिल कर दी. इसके साथ ही शेखराजा, कुमारी सोनी और एक अज्ञात मामला हमेशा के लिए ही राज ही रह गया.

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