रविवार की  ‘हुंकार’ रैली में भाजपा के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को राजनीतिक निशाने पर लिया था. मंगलवार को बारी नीतीश कुमार की थी.

मोदी ने नीतीश पर भाजपा गठबंधन छोड़ने पर ‘विश्वासघात’ का आरोप लगाया था, लेकिन मंगलवार को जनता दल (यू) की बैठक में बोलते हुए नीतीश ने उलटे भाजपा पर यही आरोप लगाया.

नीतीश ने कहा, “यहाँ गठबंधन मिलाने के बजाय गठबंधन तोड़ने वाले लोग हमें कह रहे हैं पीठ में खंजर भोंका.”

भाजपा और जनता दल (यू) के गठबंधन के दौर से ही नीतीश और मोदी के संबंध तल्ख़ रहे हैं. चुनावों के दौरान भी नरेंद्र मोदी के बिहार में प्रचार पर नीतीश कुमार ने आपत्ति ज़ाहिर की थी.

रविवार को अपने भाषण में मोदी ने नीतीश को ख़ूब खरी-खोटी सुनाई थी और तभी से प्रतीक्षा थी कि नीतीश मोदी के राजनीतिक हमलों का जवाब कब देंगे.

मोदी की रैली में हुए बम धमाकों ने नीतीश के जवाब को कुछ समय के लिए टाल दिया लेकिन मंगलवार के अपने भाषण में बिहार के विकास पर काफ़ी देर बोलने के बाद आखिरकार नीतीश ने मोदी की ओर निशाना साधा.

नीतीश ने कहा, "मैंने रेलवे स्टेशन पर चाय नहीं बेची, लेकिन हम भी साधारण परिवार से आए हैं.”

'अहंकार'

"जब दान दिया जाता है, उसका बखान नहीं किया जाता है. एक तो दान दिया, उसका बखान किया. पैसा वापस किया, तो उसे रख लिया. यही है भारतीय संस्कार?"

-नीतीश कुमार, बिहार मुख्यमंत्री

मोदी ने ‘हुंकार’ रैली में समर्थकों से कहा था कि वो प्रधानमंत्री भोज पर नीतीश कुमार के साथ एक ही टेबल पर बैठे हुए थे और उन्होंने नीतीश से बिना मीडिया के डर के साथ खाने के लिए कहा था. नीतीश ने इसे ऐसी कथा बताया “जिसका सच से कोई वास्ता ही नहीं है.”

नीतीश ने  मोदी पर ताना कसते हुए कहा, “‘हुंकार’ से अहंकार टपकता है”.

जहाँ मोदी ने नीतीश पर गैर-कांग्रेसवाद को कमज़ोर करने का आरोप लगाया था, नीतीश ने यही आरोप भाजपा पर लगाया.

उन्होंने कहा, “गैर-कांग्रेसवाद को किसने कमज़ोर किया? हम यही तो कह रहे थे कि नेता तो आपका ही होगा लेकिन ऐसा नेता चुनो जो सबका ख़्याल रखे, सबका विश्वास जीते, सबको साथ लेकर चले, सबको मिलाए, सबको मंज़ूर हो, सबसे गले मिले, और उसके साथ-साथ, देश के पीछे छूट गए इलाके हैं उनकी चिंता करे. हमने क्या गुनाह किया था? हमने कोई गुनाह नहीं किया था.”

नीतीश ने कहा, “अगर मेरे सुझाव को मानते तो आज का समय कुछ और होता. एक बार में एक लक्ष्य को ही हासिल किया जा सकता है. कांग्रेस को हराने का लक्ष्य रखते, ज़रूर कामयाबी मिल जाती. उसको हराएंगे और ख़ुद बैठ जाएंगे, दो लक्ष्य एक बार रखने वाला कुशल रणनीतिकार नहीं होता.”

भारतीय संस्कार?

हुंकार से अहंकार टपकता है: नीतीशकोसी बाढ़ पर मोदी की पाँच करोड़ रुपए की सहायता राशि ठुकराने पर नीतीश ने कहा, “जब दान दिया जाता है, उसका बखान नहीं किया जाता है. एक तो दान दिया, उसका बखान किया. पैसा वापस किया, उसे रख लिया. यही है भारतीय संस्कार?”

भाजपा नेताओं से अपनी बातचीत का ब्योरा देते हुए नीतीश कुमार ने चुटकी लेते हुए कहा, “हमको किसने कहा था कि नितिन गडकरी जी आपसे बात करना चाहते हैं? वो उस समय राष्ट्रीय अध्यक्ष थे. नितिन गडकरी जी ने जो बात की, क्या वो उस पर टिके, खुद ही हटा दिए गए. बाद में जब टूट हो रहा थी तो अडवाणी जी ने फ़ोन किया. कहा कि आपको राष्ट्रीय अध्यक्ष ने कुछ वचन दिया है, वो अध्यक्ष का वचन है, उसे निभाया जाएगा. हमने विनम्रतापूर्वक कहा, आडवाणी जी अब आपकी कोई सुनता नहीं है. अब वो दौर चला गया बीजेपी का.”

नीतीश ने सफ़ाई दी कि मोदी की  रैली में सुरक्षा के सभी आवश्यक इंतज़ाम किए गए थे.

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